NEET-UG 2025 | दस्तावेजों की अनुपलब्धता के कारण ऑनलाइन आवेदन न करने से पोर्टल दोबारा खोलने का कोई अधिकार नहीं बनता: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने NEET-UG 2025 की अभ्यर्थी द्वारा दाखिल की गई याचिका खारिज की, जिसमें आवेदन पोर्टल को दोबारा खोलने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता आवश्यक दस्तावेज़ समयसीमा के भीतर न मिलने के कारण आवेदन नहीं कर सकी थी।
इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पोर्टल को दोबारा खोलने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति प्रस्तुत नहीं की, केवल इसलिए कि वह आवश्यक दस्तावेज़ समय पर अपलोड नहीं कर पाई, यह उसे यह अधिकार नहीं देता कि वह अधिकारियों को पोर्टल दोबारा खोलने का निर्देश दिलवा सके।
जस्टिस निर्जर एस. देसाई ने अपने आदेश में कहा,
“मैं देखता हूं कि NEET–UG 2025 के लिए ऑनलाइन आवेदन की समयसीमा 07.03.2025 को समाप्त हो चुकी है। इसलिए भले ही याचिका में प्रस्तुत सभी कारणों को सत्य मान लिया जाए तब भी यह तथ्य बना रहता है कि याचिकाकर्ता आवश्यक दस्तावेजों की अनुपलब्धता के कारण समय पर आवेदन नहीं कर सकी। केवल दस्तावेज़ न होने की वजह से आवेदन न कर पाना याचिकाकर्ता को ऐसा कोई अधिकार नहीं देता कि वह पोर्टल को फिर से खोलने के लिए अदालत से निर्देश की मांग कर सके। जब तक कोई असाधारण परिस्थिति न हो तब तक ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता।”
याचिका में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को निर्देश देने की मांग की गई कि वह आवेदन पोर्टल को 2-3 दिन के लिए फिर से खोले, जिससे याचिकाकर्ता और अन्य समान स्थिति वाले स्टूडेंट आवेदन प्रक्रिया पूरी कर सकें। याचिका में अंतरिम राहत के रूप में यह भी मांग की गई कि NEET 2025 परीक्षा और उससे संबंधित समस्त प्रक्रियाओं जैसे एडमिट कार्ड जारी करना और परिणाम घोषित करना पर अंतिम निर्णय तक रोक लगाई जाए।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता आवश्यक दस्तावेज़ समय पर नहीं होने के कारण आवेदन नहीं कर सकी और पोर्टल में तकनीकी समस्याएं भी थीं, जिससे वह दस्तावेज़ अपलोड नहीं कर पाई।
वहीं NTA के वकील ने प्रस्तुत किया कि बॉम्बे हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी इसी तरह की याचिका (Namrata Sanjay Sarkate बनाम यूनियन ऑफ इंडिया) को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि NEET-UG 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन 7 मार्च को समाप्त हो गया और उस समय तक याचिकाकर्ता को दो बार सार्वजनिक सूचना के माध्यम से आवेदन पूर्ण करने के लिए कहा गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले वंशिका यादव बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2024) का हवाला देते हुए कहा कि पोर्टल को दोबारा खोलने से गड़बड़ी की आशंका बढ़ सकती है, इसलिए कोर्ट से निवेदन किया कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट के दृष्टिकोण से अलग रुख न अपनाए।
कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की उस टिप्पणी का हवाला दिया, जिसमें कहा गया,
"पोर्टल को दोबारा खोलने से सैद्धांतिक रूप से किसी प्रकार की गड़बड़ी को बढ़ावा मिल सकता है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने आशंका जताई है। इसलिए हम केवल याचिकाकर्ता को परीक्षा में भाग लेने देने के लिए पोर्टल दोबारा खोलने का निर्देश नहीं दे सकते।”
जस्टिस देसाई ने सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्णयों का संदर्भ लेते हुए पाया कि याचिकाकर्ता कोई असाधारण मामला नहीं बना पाई और अंततः याचिका खारिज कर दी।
टाइटल: Bharvad Meghankaben Nareshbhai V National Testing Agency (NTA) एवं अन्य