स्टूडेंट आत्महत्याएं अधिक हो रही हैं, एक एक्टिव एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन अत्यंत आवश्यक: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि स्टूडेंट्स की आत्महत्याएं लगातार बढ़ रही हैं। इसे रोकने के लिए एक उचित, एक्टिव और प्रभावी एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन की तत्काल आवश्यकता है।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ ने कहा कि इस प्रक्रिया में कोई देरी नहीं होनी चाहिए ताकि हम इस खतरे से और अधिक युवा जीवन न खो दें।
अदालत ने कहा कि वह स्टूडेंट आत्महत्याओं के मुद्दे को लेकर बहुत चिंतित है, जो कि बार-बार हो रही हैं। यह मुद्दा पहले ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अमित कुमार और अन्य बनाम भारत संघ मामले में विचाराधीन है और सुप्रीम कोर्ट इसकी निगरानी भी कर रहा है।
यह टिप्पणी अमन सत्य कचरू ट्रस्ट द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की गई। ये याचिकाएं राष्ट्रीय रैगिंग रोकथाम कार्यक्रम के प्रबंधन से संबंधित थीं, जिसे ट्रस्ट 2012 से चला रहा था। हालांकि, अप्रैल, 2022 में इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक नया टेंडर जारी किया और यह अनुबंध सेंटर फॉर यूथ सोसाइटी (C4Y) को दे दिया।
ट्रस्ट ने अपनी याचिका में C4Y को दिए गए टेंडर को रद्द करने की मांग की, जबकि दूसरी याचिका में UGC को अपने नोटिस विज्ञापन और टेंडर को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई।
2009 में प्रोफेसर राजेंद्र कचरू ने "लराष्ट्रीय रैगिंग रोकथाम कार्यक्रम नामक विस्तृत योजना तैयार की, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग को खत्म करना था।
इस योजना के चार मुख्य तत्व थे:
1. 24x7 राष्ट्रव्यापी एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन।
2. एडमिशन के समय ऑनलाइन हलफनामों के माध्यम से स्टूडेंट और माता-पिता के विवरण का एक डेटाबेस।
3. देश भर के लगभग 50,000 कॉलेजों की एंटी-रैगिंग समितियों और अधिकारियों का एक डेटाबेस।
4. कॉल सेंटर-आधारित मंच के माध्यम से अनुपालन और निगरानी तंत्र।
उसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को लागू करने का आदेश दिया और निगरानी कार्य गैर-सरकारी एजेंसी को सौंपने का निर्देश दिया। इसके बाद UGC ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी विनियम, 2009 तैयार किए।
खंडपीठ ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि वह ट्रस्ट द्वारा उठाए गए बड़े मुद्दों में नहीं जाएगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इन पर विचार कर रहा है। अदालत ने कहा कि ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए मजबूत संस्थागत प्रक्रिया की आवश्यकता है ताकि नियामक और प्रशासनिक तंत्र की विफलताओं की जांच की जा सके।
अदालत ने C4Y को दिए गए टेंडर में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। खासकर जब UGC के वकील ने यह स्पष्ट किया कि C4Y को दिया गया कार्य आदेश 31 दिसंबर, 2025 को समाप्त हो जाएगा।
न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले कुछ वर्षों में छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं। उसे उम्मीद है कि प्रोफेसर राजेंद्र कचरू, सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित राष्ट्रीय टास्क फोर्स के हिस्से के रूप में इन मुद्दों को उजागर करेंगे। अदालत ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रीय टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर इन समस्याओं का समाधान किया जाएगा।