आपराधिक मामलों में फोरेंसिक लैब के अनावश्यक संदर्भों से बचने के लिए SOP तैयार करें: हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा

Update: 2025-07-16 09:23 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में केंद्र और दिल्ली सरकार को फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) के अनावश्यक संदर्भों से बचने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) या दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ ने भारत सरकार और दिल्ली सरकार को तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने डॉक्टर द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों द्वारा कथित रूप से असावधानीपूर्वक और अंधाधुंध संदर्भों के कारण FSL में भीड़भाड़ की चिंता व्यक्त की गई थी।

उनका तर्क था कि FSL न केवल ऐसे संदर्भों से भरी पड़ी हैं बल्कि इससे उन नमूनों की जांच में भी अनावश्यक देरी होती है, जिनकी तत्काल आवश्यकता होती है।

उन्होंने दलील दी कि इस तरह की देरी अंततः अदालतों में आपराधिक न्याय प्रदान करने में देरी का कारण बनती है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप जांच एजेंसियों द्वारा जांच पूरी करने में देरी होती है।

न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता डॉक्टर ने इस मुद्दे पर 29 मार्च को ही केंद्र और दिल्ली सरकार को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था और निर्देश दिया कि दोनों प्राधिकरण इस पर विचार करें।

न्यायालय ने कहा कि उचित विचार-विमर्श के बाद सुविचारित निर्णय लिया जाएगा। यदि संभव हो तो FSL को अनावश्यक संदर्भ दिए जाने से बचने के लिए किसी प्रकार की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) या दिशानिर्देश भी जारी किए जाएंगे।

केस टाइटल: डॉ. सुभाष विजयरन बनाम भारत संघ एवं अन्य।

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