चार्जशीट या निलंबन के बिना सील्ड कवर प्रक्रिया लागू नहीं की जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पदोन्नति मामलों में सील्ड कवर प्रक्रिया केवल तभी अपनाई जा सकती है, जब कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही में चार्जशीट जारी की गई हो, आपराधिक अभियोजन में आरोपपत्र दाखिल हुआ हो या वह निलंबित किया गया हो। महज़ FIR दर्ज होने या जांच लंबित रहने की स्थिति में यह प्रक्रिया लागू नहीं की जा सकती।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की खंडपीठ ने यह निर्णय उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के आदेश को चुनौती दी थी। अधिकरण ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सील्ड कवर खोला जाए और यदि सिफारिश की गई हो तो संबंधित अधिकारी को 1 जनवरी, 2021 से संयुक्त आयुक्त पद पर पदोन्नति दी जाए।
मामले की पृष्ठभूमि
18 मार्च 2024 को विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक हुई थी। इस दौरान अधिकारी का मामला सील्ड कवर में रखा गया, जबकि उनके खिलाफ न तो विभागीय कार्यवाही में चार्जशीट जारी की गई, न किसी आपराधिक मामले में आरोपपत्र दाखिल हुआ था और न ही उन्हें निलंबित किया गया।
सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि CBI ने मई, 2023 में अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज की थी और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी PMLA के तहत ECIR दर्ज किया था।
इसके अलावा, जाति प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़े और गोपनीय सूचनाओं के दुरुपयोग की शिकायतें लंबित हैं। सरकार ने केवल कुमार और सैयद नसीम जाहिर मामलों का हवाला देकर कहा कि गंभीर आरोपों की स्थिति में सील्ड कवर प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
वहीं अधिकारी की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने के.वी. जंकीरामन बनाम भारत संघ मामले में स्पष्ट कर दिया कि सील्ड कवर प्रक्रिया केवल तीन परिस्थितियों में ही संभव है। चार्जशीट जारी होने पर आपराधिक मामले में आरोपपत्र दाखिल होने पर या निलंबन की स्थिति में। चूंकि इन तीनों में से कोई शर्त पूरी नहीं हुई, इसलिए सील्ड कवर प्रक्रिया लागू नहीं की जा सकती।
हाईकोर्ट ने भी यही मानते हुए कहा कि केवल FIR दर्ज होना या प्रारंभिक जांच लंबित रहना सील्ड कवर प्रक्रिया का आधार नहीं हो सकता। यदि आरोप गंभीर हैं तो अधिकारी को निलंबित किया जा सकता है और तभी यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
अदालत ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा उद्धृत मामलों में चार्जशीट जारी हो चुकी थी, जबकि इस मामले में स्वयं सरकार ने माना कि चार्ज मेमो केंद्रीय सतर्कता आयोग की सलाह पर लंबित रखा गया।
इस आधार पर अदालत ने अधिकरण के आदेश को बरकरार रखते हुए निर्देश दिया कि सील्ड कवर खोला जाए और अधिकारी को पदोन्नति दी जाए। सरकार की याचिका खारिज कर दी गई।