दिल्ली हाईकोर्ट में यासीन मलिक को मौत की सज़ा देने की मांग वाली अपील पर निजी सुनवाई का आग्रह, NIA ने कहा- ओपन कोर्ट में न सुना जाए मामला

Update: 2025-11-10 09:49 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट में यासीन मलिक को मौत की सज़ा देने की मांग वाली अपील पर निजी सुनवाई का आग्रह, NIA ने कहा- ओपन कोर्ट में न सुना जाए मामला

दिल्ली हाईकोर्ट में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग मामले में मौत की सज़ा देने की मांग वाली अपनी अपील पर निजी तौर पर सुनवाई करने का अनुरोध किया।

सोमवार को यह आग्रह NIA के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अक्षै मलिक ने जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ के सामने रखा। एजेंसी का कहना था कि कार्यवाही ऐसे लिंक के माध्यम से होनी चाहिए, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध न हो और सुनवाई ओपन कोर्ट में न की जाए। इस पर अदालत ने कहा कि वह इस अनुरोध पर विचार करेगी।

यासीन मलिक इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वयं अपना पक्ष रख रहे थे।

NIA ने बताया कि मलिक ने अपील के खिलाफ विस्तृत जवाब दाखिल किया, जिसे एजेंसी अभी अध्ययन कर रही है और उसे उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए समय चाहिए। इसके विपरीत मलिक ने अदालत से जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि मामला पिछले तीन वर्षों से लंबित है। अदालत ने अगली सुनवाई 28 जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी।

सुनवाई के दौरान मलिक ने दावा किया कि 1990 से अब तक वह छह लगातार केंद्र सरकारों के साथ वर्किंग रिलेशनशिप में रहे हैं, जिनका नेतृत्व तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, पी.वी. नरसिंहा राव, एच.डी. देवगौड़ा, आई.के. गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह ने किया। मलिक ने कहा कि उन्हें बार-बार कश्मीर मुद्दे, क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा और शांति से जुड़े संवाद के लिए आगे किया गया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलने के लिए प्रेरित किया गया।

यासीन मलिक को मई, 2022 में ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उन्होंने मामले में दोष स्वीकार कर लिया और आरोपों को चुनौती नहीं दी थी। स्पेशल कोर्ट ने सजा सुनाते समय कहा था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के मानकों के अनुसार रेयरेस्ट ऑफ द रेर की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने मलिक के इस दावे को भी खारिज कर दिया था कि उन्होंने गांधीवादी अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए शांतिपूर्ण संघर्ष का नेतृत्व किया।

मार्च, 2022 में अदालत ने मलिक सहित कई अन्य आरोपियों के विरुद्ध UAPA के तहत आरोप तय किए। अन्य आरोपियों में हाफ़िज़ मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल प्रमुख सलाउद्दीन, राशिद इंजीनियर, ज़हूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ़ अहमद शाह उर्फ फ़ंतूश, नैय्यिम खान और फ़ारूक़ अहमद डार उर्फ बित्तू कराटे शामिल थे।

अदालत ने तीन आरोपियों कमरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सैयदा आसिया फिरदौस अंद्राबी को आरोपमुक्त कर दिया था।

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