दिल्ली हाईकोर्ट ने BCI से विदेशी लॉ फर्मों के नियमों के उल्लंघन को लेकर डेंटन्स लिंक गठजोड़ पर अंतिम निर्णय रोकने को कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया कि वह डेंटन्स लिंक लीगल गठजोड़ के खिलाफ जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर अंतिम निर्णय न ले, क्योंकि इसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स फॉर रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फॉरेन लॉयर्स एंड फॉरेन लॉ फर्म्स इन इंडिया, 2022 का कथित उल्लंघन शामिल है।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने एडवोकेट अतुल शर्मा और उनकी लॉ फर्म लिंक लीगल द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जो 2023 में डेंटन्स समूह में शामिल हो गई।
विवादित नियमों को चुनौती देने के अलावा याचिका में डेंटन्स-लिंक लीगल गठजोड़ के खिलाफ 5 अगस्त को BCI द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को भी चुनौती दी गई, जिसमें कहा गया कि यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स और एडवोकेट्स एक्ट 1961 का उल्लंघन है।
BCI ने कहा कि प्रथम दृष्टया डेंटन्स लिंक लीगल का गठन और संचालन विदेशी लॉ फर्म नियमों के कई प्रावधानों का उल्लंघन है> उक्त संस्था बिना पंजीकृत हुए भारत के भीतर एक संयुक्त या एकीकृत सीमा-पार लॉ फर्म के रूप में कार्य कर रही थी।
याचिका में BCI द्वारा उसी दिन 5 अगस्त को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति को भी चुनौती दी गई, जिसमें भारतीय लॉ फर्मों और विदेशी लॉ फर्मों के बीच अनधिकृत, अपंजीकृत और अनुचित सहयोग या संयोजन" का आरोप लगाया गया। इसमें डेंटन्स लिंक लीगल और एक अन्य संस्था सीएमएस इंडसलॉ का नाम लिया गया।
याचिका में तर्क दिया गया कि डेंटन्स के साथ लिंक लीगल का संयोजन कोई विलय नहीं है बल्कि यह एक स्वतंत्र लॉ फर्म के डेंटन्स समूह का सदस्य बनने का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम ए.के. बालाजी एवं अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून और BCI द्वारा जारी किए गए विवादित नियमों का पूरी तरह से अनुपालन करता है।
सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और अरविंद निगम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए। एडवोकेट प्रीत पाल सिंह ने BCI का प्रतिनिधित्व किया। एएसजी चेतन शर्मा केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित हुए।
न्यायालय ने विधि एवं न्याय मंत्रालय के माध्यम से BCI और केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
खंडपीठ ने BCI से यह निर्देश प्राप्त करने को कहा कि याचिकाकर्ता फर्म लिंक लीगल का विशेष रूप से नाम लेते हुए विवादित प्रेस विज्ञप्ति कैसे जारी की गई।
खंडपीठ ने आगे कहा कि प्रथम दृष्टया इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विवाद के संबंध में उसी दिन कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। ऐसी प्रेस विज्ञप्ति संबंधित फर्म का नाम लेते हुए जारी नहीं की जा सकती थी।
याचिकाकर्ता फर्म का नाम लेते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए न्यायालय ने कहा,
"हम आगे यह प्रावधान करते हैं कि कारण बताओ नोटिस के अनुसरण में याचिकाकर्ता अपना जवाब प्रस्तुत कर सकता है। कार्यवाही जारी रह सकती है, लेकिन अगली सुनवाई की तारीख तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा।"
अब इस मामले की सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
यह याचिका एडवोकेट हिमांशु आनंद गुप्ता के माध्यम से दायर की गई।
केस टाइटल: अतुल शर्मा एवं अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य