दिल्ली हाइकोर्ट ने WFI के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा

Update: 2024-04-09 10:26 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation Of India (WFI)) के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्रालय से जवाब मांगा।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने WFI की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें पिछले साल 24 दिसंबर को केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा इस निर्णय की घोषणा करने वाले संचार को चुनौती दी गई।

संचार में मंत्रालय ने WFI द्वारा जल्दबाजी में लिए गए निर्णयों का हवाला दिया और कहा,

"मौजूदा नियमों और विनियमों की पूरी तरह से अवहेलना" की गयी है । 

सीनियर वकील दयान कृष्णन WFI की ओर से पेश हुए और उन्होंने कहा कि निलंबन का निर्णय लेने से पहले महासंघ को कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा लिया गया निर्णय WFI के संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ राष्ट्रीय खेल विकास संहिता का भी उल्लंघन करता है।

कृष्णन ने तर्क दिया कि WFI को बिना किसी कारण बताओ नोटिस के निलंबित कर दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।

अदालत ने कहा,

“नोटिस जारी करें। चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किया जाए। यदि कोई हो तो उसके एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करे।”

अब मामले की सुनवाई 28 मई को होगी।

हाल ही में समन्वय पीठ ने केंद्र सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा था, जिसमें निलंबित निकाय को चलाने वाली भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की तदर्थ समिति के भंग होने के बाद WFI के मामलों के प्रबंधन के बारे में अपना स्पष्ट रुख बताया गया हो।

समन्वय पीठ पहलवान बजरंग पुनिया विनेश फोगट, साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अदालत ने IOA से हलफनामा दाखिल करने को कहा था, जिसमें उन परिस्थितियों का उल्लेख हो, जिसके तहत उसने मार्च में तदर्थ समिति को भंग करने का फैसला किया था।

केस टाइटल- भारतीय कुश्ती महासंघ बनाम भारत संघ

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