इसमें प्रेस की स्वतंत्रता और जानने के अधिकार के पहलू शामिल: दिल्ली हाइकोर्ट ने रॉ पर लिखे लेख को ब्लॉक करने की याचिका खारिज की

Update: 2024-02-21 11:15 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) पर डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म 'द प्रिंट' द्वारा प्रकाशित लेख को ब्लॉक करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। इसमें कहा गया कि प्रकाशन में प्रेस की स्वतंत्रता के साथ-साथ जानने के अधिकार के पहलू भी शामिल हैं।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने वकील राघव अवस्थी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की गई कि किसी भी मीडिया आउटलेट को किसी भी स्रोत-आधारित अटकलें प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है कि क्या कोई सरकारी अधिकारी या राजनयिक विदेश में तैनात है। भारतीय खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रहा है।

विवादित लेख पिछले साल 30 नवंबर को द प्रिंट द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसका शीर्षक है- Nijjar-Pannun effect: RAW downs shutters in North America 1st time since inception in 1968.”

यह अवस्थी का मामला था कि यह लेख इसमें उल्लिखित अधिकारियों के करियर से समझौता करता है, क्योंकि उन्हें खुफिया अधिकारी के रूप में ब्रांड किया गया है, इसलिए वे कहीं और किसी अन्य भारतीय मिशन में काम नहीं कर पाएंगे।

अदालत ने कहा,

“इस न्यायालय की प्रथम दृष्टया राय में विवादित अनुच्छेद अधिकारियों के करियर से समझौता नहीं करता, या उनके परिवार के सदस्यों के जीवन को कोई शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचाता। किसी भी स्थिति में भारत सरकार के पास लागू कानून के तहत किसी भी पत्रिका के खिलाफ कार्रवाई करने या किसी भी लेख को हटाने का पूरा अधिकार है, जो उसकी राय में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करता है।”

इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार को अवस्थी से किसी सलाह सहायता की आवश्यकता नहीं है और भारत सरकार और विदेशी राज्यों के बीच खुफिया या संबंधों के मुद्दों को अत्यधिक सावधानी से संभालने की आवश्यकता है।

अदालत ने आगे कहा,

न्यायालयों को इस क्षेत्र में आसानी से अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। तदनुसार वर्तमान रिट याचिका और आवेदन खारिज किया जाता है।

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