दिल्ली हाईकोर्ट ने समीर वानखेडे के Ba*ds of Bollywood पर मानहानि मामले की सुनवाई योग्यता पर उठाए सवाल

Update: 2025-09-26 08:18 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 सितंबर) को आईआरएस अधिकारी समीर वानखेडे से सवाल किया कि उनका नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज Ba**ds of Bollywood जिसे आर्यन खान ने निर्देशित किया, में कथित अपमानजनक प्रस्तुति के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमा दिल्ली में कैसे योग्य ठहरता है।

सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस पुरुषिंद्र कुमार कौरव ने वानखेडे के सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी से मुकदमे की वजह पूछी। सेठी ने कोर्ट को बताया कि वेब सीरीज पूरे देश में उपलब्ध है और दिल्ली में भी इसे देखा जा सकता है। साथ ही इस पर बनाए गए मेम्स विशेष रूप से उनके खिलाफ दिल्ली में बने हैं।

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि आपकी याचिका योग्य नहीं है। मैं इसे अस्वीकार कर रहा हूं। यदि मामला यह होता कि मुझे विभिन्न जगहों पर अपमानित किया गया। अधिकतम हानि दिल्ली में हुई है तब भी हम इसे विचार कर सकते हैं।

इस पर सेठी ने कहा कि वे अपनी याचिका में संशोधन कर सकते हैं। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि धारा 9 के तहत याचिकाकर्ता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि दिल्ली में दीवानी मुकदमा कैसे चलेगा। कोर्ट ने सेठी को आवश्यक संशोधन के लिए समय दिया।

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट हरीश सलवे ने रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट का पक्ष रखा, जबकि सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी नेटफ्लिक्स की ओर से पेश हुए।

मुकदमे में रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, नेटफ्लिक्स, एक्स कॉर्प (पूर्व में ट्विटर), गूगल एलएलसी, मेटा प्लेटफॉर्म्स, आरपीजी लाइफस्टाइल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और जॉन डो को प्रतिवादी बनाया गया। वानखेडे ने 2 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की है, जिसे टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को कैंसर रोगियों के इलाज के लिए दान करने की योजना है।

याचिका में स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग की गई ताकि कथित झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक वीडियो के प्रसारण को रोका जा सके। वानखेडे का कहना है कि यह वेब सीरीज जानबूझकर और पूर्वनिर्धारित तरीके से बनाई गई ताकि उनकी प्रतिष्ठा को रंगीन और हानिकारक तरीके से बदनाम किया जा सके, जबकि उनके और आर्यन खान के मामले अभी भी बॉम्बे हाईकोर्ट और NDPS स्पेशल कोर्ट में लंबित हैं।

मुकदमे में यह भी कहा गया कि सीरीज में एक पात्र अश्लील इशारा करता है, जिसमें वह सत्यमेव जयते का नारा दोहराने के बाद मध्यमा अंगूठा दिखाता है। वानखेडे के अनुसार यह कृत्य राष्ट्र गौरव की अवमानना अधिनियम 1971 का गंभीर और संवेदनशील उल्लंघन है, जिसके तहत कानूनी दंडनीय कार्रवाई हो सकती है।

याचिका में यह भी दावा किया गया कि सीरीज की सामग्री सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (IPC) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करती है, क्योंकि यह अश्लील और अपमानजनक सामग्री का प्रयोग कर राष्ट्रीय भावना को आहत करने का प्रयास करती है।

अभी कोर्ट ने याचिका पर संशोधन के बाद अगली सुनवाई की तारीख तय करने के लिए रजिस्ट्री को निर्देश दिया।

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