किसी व्यक्ति के बैंक लोन का भुगतान करने में विफल रहने पर उसके विदेश यात्रा के मौलिक अधिकार को कम नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाइकोर्ट

Update: 2024-02-09 09:03 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि बैंक लोन चूक या व्यवसाय के लिए गए लोन सुविधाओं के हर मामले में लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी करने का सहारा नहीं लिया जा सकता।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा,

“देश के किसी नागरिक के विदेश यात्रा करने के मौलिक अधिकार को केवल बैंक लोन का भुगतान करने में विफलता के कारण कम नहीं किया जा सकता। खासकर तब जब जिस व्यक्ति के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर खोला गया। उसे किसी भी अपराध में आरोपी के रूप में लोनराशि का दुरुपयोग या गबन करना भी शामिल नहीं किया गया।”

अदालत ने बैंक ऑफ बड़ौदा के कहने पर शालिनी खन्ना के खिलाफ इमिग्रेशन ब्यूरो द्वारा जारी एलओसी रद्द करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

खन्ना के खिलाफ मामला यह था कि उन्होंने अपने पति सहित कंपनी के निदेशकों द्वारा प्राप्त नकद लोन सुविधाओं के लिए बैंक द्वारा वितरित राशि को चुकाने के लिए एक गारंटी डीड निष्पादित किया।

यह कहा गया कि की नकद लोन सुविधाएं ने 7 करोड़ रुपये जारी किए और उक्त राशि में से 5.95 करोड़ रुपये निदेशकों ने निकाल लिये। बैंक ने आरोप लगाया कि पैसे का दुरुपयोग किया गया।

बैंक ने लोन वसूली न्यायाधिकरण (DRT) के समक्ष बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कारण लोन की वसूली की धारा 19 के तहत कार्यवाही शुरू की, जिसमें माना गया कि बैंक गारंटी के संदर्भ में खन्ना से पेंडेंट लाइट ब्याज और भविष्य के ब्याज सहित 2,95,74,316 रुपये की राशि वसूलने का हकदार है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा खन्ना और कंपनी के निदेशकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 120 बी के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धारा 13 (1) (D) और धारा 13 (2) के तहत शिकायत दर्ज की गई।

याचिका को स्वीकार करते हुए जस्टिस प्रसाद ने कहा कि हालांकि केंद्र सरकार का आधिकारिक ज्ञापन बैंकों को एलओसी खोलने के लिए अनुरोध जारी करने की अनुमति देता है, लेकिन इसे केवल तभी जारी किया जा सकता है जब ऐसे व्यक्ति का किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय संबंध, या देश के रणनीतिक या आर्थिक हित प्रस्थान देश की संप्रभुता या सुरक्षा के लिए हानिकारक हो या खतरा हो।

अदालत ने कहा,

“आर्थिक हितों के लिए हानिकारक शब्द इतना बड़ा होना चाहिए कि यह देश के आर्थिक हित को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सके। वर्तमान मामले में वितरित लोन की कुल राशि लगभग 7 करोड़ रुपये है और अगर इसमें ब्याज भी जोड़ दिया जाए तो यह नहीं कहा जा सकता कि राशि इतनी बड़ी है कि यह देश के आर्थिक हितों को प्रभावित करेगी।”

जैसे ही अदालत ने खन्ना के खिलाफ एलओसी रद्द कर दी, उसने यह भी कहा कि यदि आपराधिक कार्यवाही के दौरान उसे आरोपी के रूप में पेश किया जाता है तो बैंक के लिए यह हमेशा खुला रहेगा कि वह ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन से उसके खिलाफ नई एलओसी खोलने का अनुरोध कर सके।

याचिकाकर्ता के वकील- हृषिकेश बरुआ, कुमार क्षितिज और अनुराग मिश्रा।

उत्तरदाताओं के लिए वकील- अजय दिगपॉल,कमल दिगपॉल और इशिता पाठक।

यूओआई के वकील- आशीष वर्मा और कार्तिकेय भार्गव

केस टाइटल- शालिनी खन्ना बनाम भारत संघ एवं अन्य।

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