दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपी के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की, सरकारी अस्पताल में 6 महीने सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महिला कर्मचारी का यौन उत्पीड़न और उसका पीछा करने के आरोप में एक नियोक्ता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कर दी। साथ ही उसे अगले छह महीनों तक हर रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।
जस्टिस रविंदर डुडेजा ने महिला द्वारा दर्ज FIR रद्द की, क्योंकि दोनों पक्षों ने जुलाई में समझौता कर मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया था।
भारतीय दंड संहिता 1860 (IPC) की धारा 354(ए) (यौन उत्पीड़न), 354(डी) (पीछा करना) और 509 (महिला की गरिमा का अपमान) के तहत अपराधों के लिए 2022 में FIR दर्ज की गई थी।
आरोप लगाया गया कि नौकरी के दौरान आरोपी नियोक्ता ने अश्लील टिप्पणियों अवांछित शारीरिक संपर्क और सोशल मीडिया पर पीछा करके महिला का लगातार यौन उत्पीड़न किया उसका पीछा किया और उसे अपमानित किया और बाद में उसे शिकायत वापस लेने की धमकी दी।
महिला ने अदालत को बताया कि नियोक्ता के साथ बिना किसी दबाव भय या दबाव के मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया और अगर FIR रद्द कर दी जाती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।
अदालत ने यह देखते हुए मामला रद्द करने की नियोक्ता की याचिका स्वीकार कर ली कि चूँकि पक्षकारों ने विवाद को शांत कर दिया है, इसलिए FIR जारी रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
अदालत ने कहा,
“FIR और उससे उत्पन्न अन्य सभी परिणामी कार्यवाही इस शर्त के अधीन रद्द की जाती है कि याचिकाकर्ता अगले छह महीनों तक हर रविवार को दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में सामुदायिक सेवा करेगा।”
इसमें यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता आगामी रविवार को एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक के समक्ष उपस्थित होगा जो उसे सामुदायिक सेवा का कार्य सौंपेंगे।
केस टाइटल: करण मूलचंदानी बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्य एवं अन्य