दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत मामले में झूठी गवाही देने की UPSC की याचिका पर पूजा खेडकर से जवाब मांगा

Update: 2024-09-19 11:11 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में आरोप लगाया गया कि पूर्व परिवीक्षाधीन IAS अधिकारी पूजा खेडकर ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका के संबंध में झूठा हलफनामा दायर करके और झूठा बयान देकर झूठी गवाही दी है।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने खेडकर से जवाब मांगा, जिन पर UPSC आवेदन में तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और झूठ बोलने का आरोप है।

अब मामले की सुनवाई 26 सितंबर को होगी।

31 जुलाई को UPSC ने खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और आयोग की सभी भावी परीक्षाओं और चयनों से उन्हें स्थायी रूप से वंचित कर दिया। उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया गया, जो आज भी जारी है।

अपने आवेदन में UPSC ने आरोप लगाया कि खेडकर ने अग्रिम जमानत याचिका के प्रति अपने हलफनामे में झूठा बयान दिया कि आयोग ने उनके बायोमेट्रिक्स एकत्र किए।

UPSC ने यह तर्क देते हुए दावा खारिज किया कि आयोग ने खेडकर के व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान कोई बायोमेट्रिक्स (आंखों और उंगलियों के निशान) एकत्र नहीं किए।

UPSC ने कहा कि आयोग ने अब तक आयोजित सिविल सेवा परीक्षाओं के व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान किसी भी उम्मीदवार से कोई बायोमेट्रिक जानकारी एकत्र नहीं की है।

आयोग ने आगे आरोप लगाया कि खेडकर ने अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए न्यायालय को धोखा देने के एकमात्र उद्देश्य से झूठा बयान दिया।

इसी तरह का आवेदन हाल ही में UPSC ने खेडकर की याचिका में दिया, जिसमें उनकी उम्मीदवारी रद्द करने को चुनौती दी गई थी।

समन्वय पीठ ने आवेदन पर नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई नवंबर में तय की गई। उस मामले में खेडकर ने अदालत के समक्ष दावा किया था कि उन्हें UPSC द्वारा आधिकारिक आदेश नहीं दिया गया।

उन्होंने तर्क दिया था कि IAS के रूप में नियुक्त होने के बाद उन्हें प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के बारे में सूचित नहीं किया जा सकता था।

अपने आवेदन में UPSC ने दावा किया कि 31 जुलाई का संचार उसी दिन खेडकर को उनके रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर भेजा गया था।

उन्होंने अदालत में झूठा बयान दिया कि उन्हें सूचना नहीं दी गई। खेडकर जून में अपने परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में पुणे कलेक्ट्रेट में शामिल हुईं। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सीएसई पास करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों (PWBD) के तहत कोटा का दुरुपयोग किया।

मामले में UPSC द्वारा खेडकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। उनका चयन रद्द करने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से भी रोक दिया गया।

UPSC द्वारा दिए गए सार्वजनिक बयान के अनुसार, खेडकर के दुराचार की विस्तृत और गहन जांच से पता चला कि उसने अपना नाम बदलकर अपनी पहचान को गलत बताते हुए परीक्षा नियमों के तहत अनुमेय सीमा से परे धोखाधड़ी से प्रयास किए।”

बयान में यह भी कहा गया कि खेडकर ने अपने पिता और माता के नाम के साथ-साथ अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल पता, मोबाइल नंबर और पता भी बदल दिया।

केस टाइटल- पूजा खेडकर बनाम राज्य

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