दिल्ली हाईकोर्ट ने नकद आधारित योजनाओं' को लेकर राजनीतिक दलों के खिलाफ पूर्व जज की याचिका पर त्वरित सुनवाई से इनकार किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP), आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के खिलाफ आगामी विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को नकदी वितरित करने के उनके राजनीतिक वादों के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि यह भ्रष्ट आचरण के दायरे में आता है।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि मामले को उसके सामान्य क्रम में सूचीबद्ध किया जाएगा। याचिकाकर्ता के वकील के अनुरोध को खारिज कर दिया कि जनहित याचिका को आज दोपहर 2 बजे सूचीबद्ध किया जाए।
न्यायालय ने कहा,
"कल चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है या शायद आज मुफ्त उपहारों का जो भी असर होना था वह पहले ही हो चुका है।"
यह जनहित याचिका जस्टिस ढींगरा द्वारा दायर की गई है, जो संगठन समय यान (सशक्त समाज) के अध्यक्ष भी हैं।
न्यायाधीश ने तर्क दिया कि इस तरह की गतिविधियां न केवल चुनावी कानूनों का उल्लंघन करती हैं बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मतदाताओं के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करती हैं, जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है तथा चुनावों के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन में गंभीर बाधा उत्पन्न करती हैं।
याचिका में भारत के चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश देने की मांग की गई कि वह कथित भ्रष्ट आचरण और तीन राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं की स्पष्ट सहमति के बिना मौद्रिक योजनाओं की आड़ में एकत्र किए गए अवैध डेटा की गहन जांच करे।
BJP, AAP और Congress को मतदाताओं के व्यक्तिगत और चुनावी डेटा एकत्र करने से रोकने और उन्हें किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा या उपयोग न करने का निर्देश देने की भी मांग की गई।
आगे यह निर्देश देने की मांग की गई कि नकदी-उन्मुख योजनाओं को असंवैधानिक और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की भावना के विरुद्ध घोषित किया जाए जैसा कि चुनाव हेरफेर के समान है।याचिका में मतदाताओं को नकद वितरण के विरुद्ध वादों के संबंध में राजनीतिक दलों के लिए नियम बनाने तथा चुनावी कानूनों के आगे उल्लंघन को रोकने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए ईसीआई को निर्देश देने की भी मांग की गई।
PIL में AAP की मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना, BJPभाजपा की महिला समृद्धि योजना और Congress की "प्यारी दीदी योजना" का उल्लेख किया गया, जिसमें पार्टियों ने सत्ता में आने पर मतदाताओं को नकद लाभ देने का वादा किया।
याचिका में कहा गया,
"ये कार्य जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों, विशेष रूप से धारा 123(1), धारा 127ए, साथ ही भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 170 और 171 का उल्लंघन करते हैं। इसके अलावा, ये कार्रवाइयां भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा जारी सलाहकार दिशानिर्देशों की अवहेलना करती हैं।”
केस टाइटल: जस्टिस (सेवानिवृत्त) एस.एन. ढींगरा, अध्यक्ष, समय यान (सशक्त समाज) बनाम भारत का चुनाव आयोग और अन्य।