दिल्ली हाईकोर्ट ने बाढ़ प्रभावित फसलों की देखभाल के लिए हत्या के दोषी की पैरोल बढ़ाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के दोषी को हाल ही में आई बाढ़ से प्रभावित अपनी फसलों की देखभाल करने के लिए पैरोल की अवधि चार सप्ताह के लिए बढ़ाई।
जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने प्रवीण राणा नामक दोषी को पहले कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों पर ही चार सप्ताह की पैरोल दी।
कोर्ट ने कहा,
"याचिकाकर्ता की निरंतर उपस्थिति न केवल अप्रत्याशित है बल्कि भगवान के कार्य (भारी बारिश) के कारण भी आवश्यक है। यह उसके परिवार की आजीविका का एकमात्र स्रोत है, जिस पर उसकी विधवा मां और दो नाबालिग बच्चे पूरी तरह से निर्भर हैं। पानी कम होने के बाद खेत को बहाल करने और बचाने के लिए तत्काल उपाय करना जरूरी है, जिसमें वित्तीय व्यवस्था और उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य आवश्यक सामग्रियों का उपयोग शामिल है।"
कोर्ट ने आगे कहा कि दोषी की सक्रिय देखरेख के बिना कृषि बहाली की प्रक्रिया प्रभावी ढंग से नहीं हो सकती है, जिससे उसके आश्रित परिवार के सदस्यों के अस्तित्व और शिक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पैरोल की इस अवधि को दूसरी पैरोल माना जाएगा और जेल नियमावली के अनुसार इसका हिसाब किया जाएगा।
राणा को जून में इस आधार पर फर्लो दी गई थी कि उसने अपनी कृषि भूमि पर मौसमी फसलें बोई थीं। भारी बारिश के कारण खेत पूरी तरह से जलमग्न हो गया और पूरी फसल बर्बाद हो गई।
पैरोल बढ़ाने की मांग करते हुए दोषी ने तर्क दिया कि एक बार बाढ़ का पानी कम होने के बाद उसे फसल को बहाल करने के लिए तत्काल उपाय करने होंगे। उसने कहा कि बाढ़ ने सामान्य कृषि गतिविधियों को बाधित किया। इसलिए फसलों की सुरक्षा नुकसान को कम करने और बहाली प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए उसकी उपस्थिति आवश्यक है।
दोषी को राहत देते हुए कोर्ट ने कहा,
"दोनों पक्षकारों के वकीलों को सुनने और आवेदन की जांच करने के बाद मेरा विचार है कि आवेदक अपनी उन फसलों की देखभाल करने के लिए पैरोल बढ़ाने का हकदार है, जो हाल की बाढ़ से प्रभावित हुई हैं।"