नाम से पहचाने जाने का अधिकार व्यक्ति की पहचान के लिए मौलिक: दिल्ली हाइकोर्ट

Update: 2024-04-15 07:08 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी व्यक्ति का नाम उसकी पहचान का प्रतीक है और नाम से पहचाने जाने का अधिकार व्यक्ति की पहचान के लिए मौलिक है।

जस्टिस सी हरि शंकर ने कहा,

“यह मौलिक आवश्यकता है और न्यायालय को इस संबंध में याचिका दायर किए जाने पर यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि अनुरोध वास्तविक है तो उसे स्वीकार किया जाए।"

जिज्ञा यादव बनाम सीबीएसई में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक दस्तावेज किसी व्यक्ति के स्कूल रिकॉर्ड से मेल नहीं खा सकते हैं, लेकिन ऐसे मामले में सीबीएसई को संबंधित उम्मीदवार से हलफनामा मांगकर या सर्टिफिकेट में यह अस्वीकरण डालकर खुद को क्षतिपूर्ति करने की अनुमति दी जा सकती है कि नाम में परिवर्तन उम्मीदवार के कहने पर किया गय, जो उसके द्वारा प्रस्तुत सार्वजनिक दस्तावेजों के आलोक में है।

न्यायालय ने सीबीएसई को निर्देश देने की मांग करने वाली लड़की की याचिका पर विचार करते हुए ये टिप्पणियां कीं कि उसके पिता का नाम उसकी कक्षा 10 और 12 की मार्कशीट से बदला जाए।

जस्टिस शंकर ने कहा कि अदालत को लड़की द्वारा अपने सर्टिफिकेट में अपने पिता के नाम को बदलने के लिए अपनी प्रार्थना को उचित ठहराने के लिए जिस सामग्री पर भरोसा किया गया, उसकी जांच करते समय अपने दृष्टिकोण में व्यावहारिक होना चाहिए, न कि पांडित्यपूर्ण होना चाहिए।

न्यायालय ने कहा कि वह ऐसे मामलों में अति तकनीकी नहीं हो सकता और केवल वर्तनी में मामूली अंतर के कारण सुधार के लिए प्रार्थना को अस्वीकार करना शुरू नहीं कर सकता।

याचिका स्वीकार करते हुए न्यायालय ने सीबीएसई को याचिकाकर्ता लड़की को उसके पिता के बदले हुए नाम को दर्शाते हुए कक्षा 10वीं और 12वीं की नई मार्कशीट जारी करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल- प्रगति श्रीवास्तव बनाम सचिव, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और अन्य

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