सुनील गावस्कर के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा: दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध मर्चेंडाइज बिक्री और फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट हटाने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा करते हुए उनके नाम, छवि और पहचान का दुरुपयोग कर की जा रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने मंगलवार को अंतरिम आदेश पारित करते हुए अनधिकृत मर्चेंडाइज की बिक्री से जुड़े ऑनलाइन लिस्टिंग हटाने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से आपत्तिजनक पोस्ट्स को तत्काल टेक-डाउन करने के निर्देश दिए।
अदालत ने यह आदेश उन याचिकाओं पर पारित किया, जिनमें आरोप लगाया गया कि विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर सुनील गावस्कर की पहचान से जुड़ी वस्तुएं बिना अनुमति बेची जा रही हैं।
इसके अलावा, मेटा (फेसबुक-इंस्टाग्राम) और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया मंचों पर ऐसे पोस्ट्स और कंटेंट प्रसारित किए जा रहे हैं, जिनमें सुनील गावस्कर के नाम से गलत और मनगढ़ंत उद्धरण जोड़े गए हैं।
याचिका में यह भी कहा गया कि संबंधित उद्धरण कभी सुनील गावस्कर द्वारा दिए ही नहीं गए और वह वर्तमान राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों से जुड़े थे।
ऐसे में इन फर्जी बयानों का सोशल मीडिया पर प्रसार एक क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में उनकी साख और विश्वसनीयता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
अदालत ने प्रथम दृष्टया इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम और पहचान का इस प्रकार व्यावसायिक और सार्वजनिक मंचों पर दुरुपयोग उनके पर्सनैलिटी राइट्स का उल्लंघन है।
इसी आधार पर न्यायालय ने अवैध मर्चेंडाइज से संबंधित सभी लिस्टिंग और विवादित सोशल मीडिया पोस्ट्स को हटाने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड एक्टर आर. माधवन के पर्सनैलिटी राइट्स की भी इसी तरह रक्षा की थी।
हाल के दिनों में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण, अभिनेता सलमान खान और जूनियर एनटीआर द्वारा भी अदालत का रुख किया गया।
इसके अलावा, हाईकोर्ट की समन्वय पीठें 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर, अभिनेता नागार्जुन, ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिषेक बच्चन और फिल्म निर्माता करण जौहर के पर्सनैलिटी राइट्स को भी संरक्षण प्रदान कर चुकी हैं।
जस्टिस अरोड़ा इससे पहले पत्रकार सुधीर चौधरी और पॉडकास्टर राज शमानी के मामलों में भी पर्सनैलिटी राइट्स के उल्लंघन पर सख्त रुख अपनाते हुए राहत दे चुके हैं।
अदालत ने स्पष्ट किया कि डिजिटल युग में किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति की पहचान का दुरुपयोग न केवल अवैध है, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा और आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।