दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को 22 हफ्ते का गर्भपात कराने की अनुमति दी

Update: 2025-09-18 10:39 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 वर्षीय अविवाहित महिला को 22-हफ्ते का गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। यह गर्भ एक व्यक्ति द्वारा शादी का झूठा वादा करके बनाए गए शारीरिक संबंधों के कारण ठहरा था, जिससे महिला को गंभीर शारीरिक और मानसिक आघात पहुँचा था।

जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा कि अगर महिला को यह गर्भावस्था जारी रखने के लिए मजबूर किया जाता है तो उसकी पीड़ा और बढ़ जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ेगा, जिससे उसके शरीर पर हुए घाव शायद ही भर पाएंगे

महिला के अनुसार, वह उस व्यक्ति के साथ करीब दो साल से लिव-इन रिलेशनशिप में थी, जिसने उससे शादी का झूठा वादा किया था। उसने बताया कि पिछले साल नवंबर-दिसंबर में वह पहली बार गर्भवती हुई थी और उस व्यक्ति ने उसे दवाओं से गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया था। हालांकि, जून में वह फिर से गर्भवती हो गई।

महिला का आरोप है कि जब उसने दूसरी बार गर्भपात कराने से इनकार किया तो व्यक्ति ने उस पर हमला किया और फिर उसे छोड़ दिया। इसके बाद महिला ने व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके परिणामस्वरूप FIR दर्ज हुई।

कोर्ट के निर्देश पर एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया, जिसने पुष्टि की कि महिला गर्भपात के लिए मेडिकल रूप से फिट है और प्रक्रिया में कोई जोखिम नहीं है।

महिला ने वर्चुअल रूप से पेश होकर पुष्टि की कि वह सोच-समझकर और पूरी जानकारी के साथ गर्भपात का निर्णय ले रही है। कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़ित का निर्णय कि वह बच्चे को जन्म दे या गर्भावस्था समाप्त करे उसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

कोर्ट का आदेश

कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए निर्देश दिया,

 "याचिकाकर्ता को आज या कल तुरंत एम्स अस्पताल में मेडिकल गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए। जांच अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि FIR की जांच के उद्देश्य से भ्रूण के ऊतक और अन्य प्रासंगिक सैंपल DNA जांच के लिए FSL (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) में एकत्र और संरक्षित किए जाएं।"

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