दिल्ली हाइकोर्ट ने मीडिया घरानों, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को बिहार BJP विधायक की अपमानजनक तस्वीरें हटाने का आदेश दिया

Update: 2024-02-23 13:58 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में विभिन्न मीडिया घरानों, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और सर्च इंजनों को बिहार की महिला BJP विधायक की कथित रूप से अपमानजनक और छेड़छाड़ की गई तस्वीरें हटाने का निर्देश दिया।

विधायक के मुकदमे में अंतरिम आदेश पारित करते हुए जस्टिस प्रतीक जालान ने मीडिया हाउस, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और राजनीतिक सहयोगी, जिसके बारे में उनका दावा है कि उसने तस्वीरें शेयर कीं, को निर्देश दिया कि वे समान प्रकृति की तस्वीरें या अन्य तस्वीरें प्रकाशित न करें।

मुकदमे के अनुसार तस्वीरों में विधायक और राजनीतिक सहयोगी एक-दूसरे के करीब दिख रहे हैं। महिला ने दावा किया कि तस्वीरों से छेड़छाड़ की गई।

अदालत ने कहा कि यह निर्देश वायरल हो रही तस्वीरों के संबंध में तथ्यात्मक विवाद या उस संबंध में शुरू की गई कार्यवाही के बारे में रिपोर्टिंग के रास्ते में नहीं आएगा, बशर्ते कि तस्वीरों की वास्तविकता के बारे में कोई आरोप न लगाया जाए या समान प्रमुखता दी जाए। विधायक की दलील है कि तस्वीरें छेड़छाड़ की गई।

यह जोड़ा,

“यह आदेश किसी भी तस्वीरों को अपलोड़ करने के रास्ते में नहीं आएगा, यदि संबंधित प्रकाशक ने तस्वीरों की सत्यता की पुष्टि कर ली है और संबंधित छवियों के संबंध में औचित्य का बचाव करना चाहता है।”

जस्टिस जालान ने मेटा को अपने मंच पर किसी प्रकाशन से संबंधित यूआरएल को हटाने का निर्देश दिया, यदि इसे एक सप्ताह के भीतर नहीं हटाया जाता है।

अदालत ने कहा,

“वादी ने अज्ञात प्रतिवादियों को भी शामिल किया, जिनका प्रतिनिधित्व अशोक कुमार [प्रतिवादी नंबर 17] कर रहे हैं, जिन्होंने वही तस्वीरें/वीडियो सार्वजनिक डोमेन में डाल दी हैं, या जो भविष्य में ऐसा कर सकते हैं। उपरोक्त अज्ञात प्रतिवादियों को भी उपरोक्त निर्देशों के अनुसार छवियों को हटाने और भविष्य में वादी की समान प्रकृति की समान तस्वीरों को अपलोड करने से रोकने का निर्देश दिया जाता है।”

विधायक की ओर से पेश सीनियर वकील राजशेखर राव ने अंतरिम आदेश की मांग की, जिसमें प्रतिवादियों को संबंधित तस्वीरों को हटाने और आगे इसी तरह के प्रकाशन से बचने का निर्देश दिया जाए।

उस व्यक्ति की ओर से पेश वकील उमेश बर्नवाल जिसे विधायक ने अपना राजनीतिक सहयोगी होने का दावा किया, उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल किसी भी तस्वीर के प्रकाशन के लिए जिम्मेदार नहीं है।

वकील ने कहा कि मीडिया घरानों द्वारा कथित तस्वीरें हटाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।

जस्टिस जालान ने कहा कि विधायक ने अपने पक्ष में अंतरिम आदेश के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाया।

अदालत ने कहा,

“यह महत्वपूर्ण है कि कोई भी प्रतिवादी उन तस्वीरों की सत्यता की ज़िम्मेदारी नहीं ले रहा है। मिस्टर राव के निवेदन के अनुसार, तस्वीर का उद्देश्य वादी के चरित्र को बदनाम करना और कम से कम उसकी गोपनीयता का उल्लंघन करना है। मैं संतुष्ट हूं कि अगर ऐसी परिस्थितियों में कोई अंतरिम राहत नहीं दी गई तो वादी को अपूरणीय क्षति और चोट होगी।”

केस टाइटल- आरवी बनाम नवभारत टाइम्स और अन्य।

Tags:    

Similar News