दिल्ली हाईकोर्ट ने रिटायर्ड मेजर जनरल वी.के. सिंह को RAW से जुड़ी किताब मामले में दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति दी

Update: 2025-09-24 07:57 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने रिटायर मेजर जनरल वी.के. सिंह को उन दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति दी है, जो उनके खिलाफ CBI द्वारा दर्ज एफआईआर में शामिल हैं।

यह FIR 2007 में सिंह द्वारा रिटायरमेंट के बाद प्रकाशित किताब में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) से संबंधित संवेदनशील और गुप्त जानकारियों के उजागर होने के आरोप पर दर्ज की गई थी।

जस्टिस अमित महाजन ने यह नोट किया कि CBI ने दस्तावेजों के निरीक्षण का विरोध नहीं किया बस यह कहा कि दस्तावेज संवेदनशील होने के कारण उनकी हार्ड कॉपी उपलब्ध नहीं कराई जाए।

सिंह ने 2002 में सेवा से रिटायर होने के बाद जून, 2007 में 'इंडिया'स एक्सटर्नल इंटेलिजेंस सीक्रेट्स ऑफ रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) शीर्षक से किताब प्रकाशित की थी। इसके बाद CBI ने FIR दर्ज की और 2008 में शिकायत तथा पुलिस रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में दाखिल की गई।

सिंह के खिलाफ यह मामला भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय के डिप्टी सचिव द्वारा शुरू किया गया। शिकायत में सिंह और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 के तहत आरोप लगाए गए थे।

CBI का दावा था कि किताब में अधिकारियों के नाम, विभिन्न स्थानों की जानकारी और GOM की सिफारिशें प्रकाशित की गई।

न्यायालय ने कहा कि दस्तावेजों की आपूर्ति का उद्देश्य आरोपी के निष्पक्ष न्याय के अधिकार की रक्षा करना है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित है। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी को वह सभी सामग्री प्रदान करना जरूरी है, जिस पर अभियोजन ट्रायल में निर्भर करने का इरादा रखता है।

अदालत ने सिंह और अन्य व्यक्ति को दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति दी, लेकिन दस्तावेजों की प्रतियां उनके वकील को देने की अनुमति नहीं दी गई।

अदालत ने कहा,

"उपरोक्त दृष्टिगत, वर्तमान याचिका को इस हद तक स्वीकार किया जाता है कि अंतरिम आदेश में संशोधन किया गया और प्रतिवादी तथा उनके अधिकृत वकील को ट्रायल कोर्ट में रखे दस्तावेजों का निरीक्षण करने की अनुमति दी जाती है ताकि वे ट्रायल के दौरान प्रभावी ढंग से अपनी रक्षा कर सकें।"

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