कार्यकारी सदस्य के रूप में महिला वकीलों के नामांकन पर SCBA की बैठक दो महीने के भीतर आयोजित की जाएगी: दिल्ली हाइकोर्ट

Update: 2024-02-29 18:15 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट को बताया गया कि कार्यकारी सदस्यों के रूप में महिला वकीलों के नामांकन के पहलू पर चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की आम सभा की बैठक दो महीने के भीतर आयोजित की जाएगी।

इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आम सभा की बैठक बुलाने की मांग वाली याचिका में SCBA अध्यक्ष, सीनियर वकील आदिश अग्रवाल ने जस्टिस सुधीर कुमार जैन के समक्ष यह दलील दी।

अग्रवाल ने अदालत को सूचित किया कि SCBA में लगभग 20,000 सदस्य हैं और उन सभी को नोटिस दिया जाना है। इसलिए बैठक बुलाने के लिए दो महीने की आवश्यकता होगी।

इस आश्वासन के मद्देनजर अदालत ने Delhi High CourtLawyersSCBAWomen AdvocatesExecutive MembersJustice sudhir kumar jain

https://www.livelaw.in/high-court/delhi-high-court/delhi-high-court-delhi-riots-larger-conspiracy-case-police-clarify-probe-complete-chargesheets-250874?infinitescroll=1Delhi High CourtLawyersSCBAWomen AdvocatesExecutive MembersJustice sudhir kumar jain

https://www.livelaw.in/high-court/delhi-high-court/delhi-high-court-delhi-riots-larger-conspiracy-case-police-clarify-probe-complete-chargesheets-250874?infinitescroll=1उस याचिका का निपटारा कर दिया, जो महिला वकील योगमाया एम.जी. द्वारा दायर की गई जो वर्ष 2016 से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की सदस्य हैं।

उनका प्रतिनिधित्व वकील श्रीराम परक्कट ने किया।

याचिकाकर्ता ने 2023 SCBA चुनाव में कार्यकारी समिति के सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ा था। लेकिन वह हार गई।

उन्होंने SCBA को 270 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित पिछले साल 14 अगस्त के अभ्यावेदन पर समय सीमा के भीतर विचार करने का निर्देश देने की मांग की थी।

यह प्रतिनिधित्व SCBA कार्यकारी समिति में महिला वकीलों के गैर-प्रतिनिधित्व के मुद्दे को उजागर करने के लिए किया गया। वकीलों ने SCBA अध्यक्ष से महिला कार्यकारी सदस्यों के लिए कम से कम दो पद सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के नियमों और विनियमों में संशोधन करने का आग्रह किया।

प्रतिनिधित्व में कहा गया,

“यह संशोधन न केवल समिति के भीतर लिंग असंतुलन को संबोधित करेगा, बल्कि अन्य बार एसोसिएशन के लिए भी मिसाल कायम करेगा। हमारा प्रस्ताव है कि पिछले सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव में सबसे अधिक वोट पाने वाली दो महिला उम्मीदवारों को कार्यकारी सदस्यों के रूप में नामित किया जाए।”

याचिका इसलिए दायर की गई, क्योंकि अभ्यावेदन पर आज तक कोई पावती या प्रतिक्रिया नहीं मिली। याचिका में कहा गया कि SCBA कार्यकारी समिति में महिला प्रतिनिधित्व की अनुपस्थिति महिला वकीलों द्वारा विशिष्ट रूप से अनुभव किए गए मुद्दों को संबोधित करने की क्षमता को गंभीर रूप से बाधित करती है।

यह जोड़ा गया,

"एसोसिएशन के भीतर समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन नियमों में संशोधन करना महत्वपूर्ण है। यह संशोधन अधिक न्यायसंगत और प्रतिनिधि वातावरण तैयार करेगा, जिससे महिलाओं के दृष्टिकोण और योगदान को बेहतर ढंग से स्वीकार और शामिल किया जा सकेगा।''

इसके अलावा याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन जैसे निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं की उपस्थिति कार्यस्थल संस्कृति बनाने के लिए मौलिक है, जो यौन उत्पीड़न की रोकथाम को सक्रिय रूप से बढ़ावा देती है और प्राथमिकता देती है।

इसमें कहा गया कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है कि कानूनी पेशे में महिलाओं की विशिष्ट चिंताओं पर उचित ध्यान दिया जाता है, जिससे ऐसे माहौल को बढ़ावा मिलता है, जहां सभी सदस्य अपने पेशेवर गतिविधियों में सुरक्षित और समर्थित महसूस करते हैं।

याचिका में कहा गया,

“कानूनी आधार के रूप में महिला वकीलों के प्रतिनिधित्व की वकालत करना केवल संख्यात्मक समानता का मामला नहीं है, बल्कि कानूनी समुदाय बनाने के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है, जो सुरक्षा, समावेशिता और समानता को प्राथमिकता देता है। यह संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने और पेशेवर माहौल को बढ़ावा देने के लिए एसोसिएशन की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है, जहां हर सदस्य जेंडर की परवाह किए बिना न्याय की उन्नति में योगदान कर सकता है।”

याचिका वकील बिनीश के नंदना मेनन और अंजिता संतोष के माध्यम से दायर की गई।

केस टाइटल- एमएस.योगमाया एम.जी बनाम सुप्रीमकोर्ट बार एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व इसके अध्यक्ष

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