नेचुरल जस्टिस का उल्लंघन: GST डिमांड के खिलाफ व्यक्तिगत सुनवाई के लिए एक दिन का नोटिस देने पर दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि प्रस्तावित GST डिमांड के संबंध में व्यक्तिगत सुनवाई में शामिल होने के लिए किसी असेसी को सिर्फ एक दिन का नोटिस देना नेचुरल जस्टिस का उल्लंघन है।
यह बात जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और सौरभ बनर्जी की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता फर्म की उस अपील को खारिज करने के खिलाफ चुनौती पर सुनवाई करते हुए कही, जिसमें देरी के कारण अपील को खारिज कर दिया गया था।
यह डिमांड कुछ कम पेमेंट और इनपुट टैक्स क्रेडिट में अंतर के साथ-साथ GSTR-I (मासिक/तिमाही रिटर्न) और GSTR-3B (समरी रिटर्न) में रिपोर्ट की गई टैक्स लायबिलिटी में अंतर और ब्याज के संबंध में उठाई गई।
याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि व्यक्तिगत सुनवाई का नोटिस 20 अगस्त, 2025 को जारी किया गया, जिसमें सुनवाई की तारीख 21 अगस्त, 2025 दी गई।
इसके बाद विवादित आदेश एक हफ्ते के अंदर 18 अगस्त, 2025 को पास कर दिया गया।
इसी तरह 2 सितंबर, 2025 को फिर से नोटिस जारी किया गया जिसमें व्यक्तिगत सुनवाई की तारीख 3 सितंबर 2025 तय की गई।
याचिकाकर्ता ने बताया कि वह पेश नहीं हो सका क्योंकि पेश होने के लिए सिर्फ एक दिन का नोटिस पीरियड था।
जहां तक अपील दायर करने में देरी का सवाल है याचिकाकर्ता ने बताया कि डॉक्यूमेंट्स वकील के पास थे, जो बीमार थे और अपील फाइल नहीं कर सके।
हाईकोर्ट ने कहा कि अपील को सही ही खारिज किया गया, क्योंकि अपीलेट अथॉरिटी के पास देरी को माफ करने की शक्ति नहीं है।
हालांकि कोर्ट ने 20,000 रुपये जमा करने की शर्त पर देरी को माफ कर दिया।
साथ ही कहा,
"क्योंकि एक दिन के नोटिस के कारण नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ था।"