दिवंगत कर्मचारी के परिवार को मिलने वाले मुआवज़े के लिए टर्मिनल लाभ पर 'काल्पनिक ब्याज' भी गिना जाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-09-29 07:02 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि दिवंगत सरकारी कर्मचारी के परिवार को एक्स-ग्रेशिया मुआवज़ा देने के मामले में परिवार को मिले रिटायरमेंट लाभ (टर्मिनल बेनिफिट्स) पर मिलने वाले काल्पनिक ब्याज को भी आय का हिस्सा माना जाएगा।

जस्टिस प्रतीक जालान ने टिप्पणी की कि इस योजना का उद्देश्य परिवार को कर्मचारी की मृत्यु के बाद तुरंत आर्थिक राहत पहुंचाना है। यह किसी तरह का अधिकार या हक़ नहीं है बल्कि परिवार की तत्काल ज़रूरत को देखते हुए बनाई गई योजना है।

मामला बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एक कर्मचारी से जुड़ा है, जिनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने दया नियुक्ति के स्थान पर एक्स-ग्रेशिया मुआवज़े की मांग की थी। भारतीय बैंक संघ की नीति के मुताबिक यदि दया नियुक्ति नहीं दी जाती तो परिवार को मुआवज़ा मिल सकता है। शर्त यह है कि आवेदन छह माह के भीतर किया जाए और परिवार की मासिक आय मृतक के अंतिम वेतन के 60 प्रतिशत से कम हो।

बैंक ने याचिकाकर्ता की मांग यह कहते हुए ठुकरा दी कि परिवार की मासिक कुल आय 28,789 है, जबकि मृतक की अंतिम वेतन का 60 प्रतिशत 19,549 बनता है। इसमें रिटायरमेंट लाभ और निवेश पर मिलने वाला संभावित ब्याज भी जोड़ा गया।

याचिकाकर्ता का तर्क था कि बैंक को केवल वास्तविक आय देखनी चाहिए, न कि काल्पनिक ब्याज को भी आय में शामिल करना चाहिए। हालांकि, हाईकोर्ट ने साफ किया कि नीति में स्पष्ट रूप से टर्मिनल लाभ पर ब्याज को काल्पनिक आधार पर गिनने का प्रावधान है। इस नीति को चुनौती भी नहीं दी गई।

अदालत ने कहा कि योजना का मक़सद मृत्यु के तुरंत बाद राहत देना है। ऐसे में यह जांचना व्यावहारिक नहीं कि परिवार ने वास्तव में ब्याज कमाया या नहीं, क्योंकि आवेदन तो छह महीने के भीतर करना अनिवार्य है।

इस तरह हाईकोर्ट ने बैंक का फैसला सही ठहराते हुए कहा कि मुआवज़ा तय करने में टर्मिनल लाभ से मिलने वाला काल्पनिक ब्याज भी परिवार की आय में जोड़ा जाएगा।

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