दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 दंगा मामले में पुलिस की याचिका खारिज की, ताहिर हुसैन से जुड़े आगजनी केस में गवाह को दोबारा बुलाने की मांग ठुकराई
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े आगजनी मामले के ट्रायल में अभियोजन गवाह को फिर से बुलाने की मांग करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस मामले के आरोपियों में से एक पूर्व आम आदमी पार्टी (AAP) नेता ताहिर हुसैन भी हैं।
मामले को कुछ देर सुनने के बाद जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने अपने आदेश में कहा,
"दलीलें सुनी गईं, रिकॉर्ड का अवलोकन किया गया। याचिका खारिज की जाती है। कोई मेरिट नहीं है।"
पुलिस के वकील ने तर्क दिया कि 7 फरवरी, 2023 को छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए और मामला अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के लिए सूचीबद्ध था।
इस साल 28 जनवरी को अभियोजन पक्ष ने PW-23 (सब-इंस्पेक्टर) से पूछताछ की, जिसने बयान दिया कि 24-02-2020 की रात लगभग 11:30 बजे से 12 बजे के बीच वह आरोपी द्वारा किए गए कॉल के संबंध में गया। उसने पाया कि संबंधित दुकान जली हुई हालत में थी और उसका शटर भी टूटा हुआ था।
आरोप है कि करावल नगर चांद बाग में स्थित एक दुकान को कथित दंगाइयों द्वारा लूटा गया तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई।
पुलिस के वकील ने कहा कि 4 फरवरी 2025 को अभियोजन पक्ष ने PW-26 (हेड कांस्टेबल) से पूछताछ की, जिसने गवाही दी कि 24-2-2020 की रात 11:30 बजे से 12 बजे के बीच वह सब-इंस्पेक्टर (PW-23) के साथ था और दुकान को सामान्य स्थिति में पाया था।
इसके बाद अभियोजन पक्ष ने PW-26 की गवाही के मद्देनजर PW-23 को फिर से बुलाने के लिए याचिका दायर की, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने 7 फरवरी को इसे खारिज कर दिया था।
आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट का आदेश तर्कसंगत है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि गवाह PW-23 का बयान पहले से ही अभियोजन पक्ष के पास उपलब्ध था। अगर उन्हें दुकान को जले हुए देखे जाने की तारीख में कोई विसंगति मिली थी तो उसी तारीख को अभियोजक को गवाह से क्रॉस एग्जामिनेशन करने से किसी बात ने नहीं रोका था।
उन्होंने प्रस्तुत किया कि यह कहने का कोई आधार नहीं है कि यह विसंगति केवल PW-26 का बयान दर्ज होने के बाद ही सामने आई है, जबकि याचिकाकर्ता ने स्वयं कहा कि 10 ऐसे गवाह हैं, जिन्होंने घटना की तारीख 25-2-2020 बताई।
राज्य के वकील ने कहा कि PW-23 से केवल तारीख के संबंध में छोटा सा स्पष्टीकरण चाहिए, जिससे आरोपी को कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा। इसलिए राज्य को गवाह की जांच करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।