दिल्ली हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट को आदेश पत्र में वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने का निर्देश दिया, 'ड्रॉप बॉक्स', 'चैट बॉक्स' प्रणाली की मांग की

Update: 2024-10-08 07:16 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी की सभी जिला कोर्ट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वकीलों की उपस्थिति आदेश पत्र में उचित रूप से दर्ज की जाए।

जस्टिस संजीव नरूला ने प्रधान जिला एवं सेशन कोर्ट (मुख्यालय) को इस मुद्दे पर सभी जिला कोर्ट को आवश्यक निर्देश जारी करने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा,

"इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने वाले वकीलों के लिए 'ड्रॉप-बॉक्स' प्रणाली या दिल्ली हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई में उपयोग किए जाने वाले चैट बॉक्स' के समान तंत्र को लागू किया जा सकता है।"

जस्टिस नरूला पटियाला हाउस न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों में अपना नाम शामिल न किए जाने से व्यथित एडवोकेट रंजीत कुमार ठाकुर द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहे थे। उनका कहना था कि उनकी उपस्थिति दर्ज करवाने के कई प्रयासों के बावजूद, जिला कोर्ट आदेश पत्रक से उनका नाम हटाना जारी रखे हुए हैं।

न्यायालय ने पाया कि याचिका में उजागर किए गए मुद्दे का सार अदालती कार्यवाही में पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के नाम दर्ज करने की प्रथा को औपचारिक रूप देने की आवश्यकता से संबंधित है।

न्यायालय ने कहा,

"ऐसे रिकॉर्ड वकील की उपस्थिति और सुनवाई में भागीदारी की स्वीकृति के रूप में काम करते हैं। जिला कोर्ट में चैंबर के आवंटन के लिए पात्रता की आवश्यकता का आधार भी बनते हैं।"

इसमें यह भी कहा गया कि जिला बार एसोसिएशन के चुनावों में पात्रता के लिए चाहे उम्मीदवार के रूप में हो या मतदाता के रूप में अक्सर अदालत में उपस्थिति एक शर्त होती है।

आदेश में कहा गया,

"इस संबंध में जिला कोर्ट में समान प्रोटोकॉल की स्पष्ट अनुपस्थिति तत्काल सुधार की मांग करती है। न्यायालय को हस्तक्षेप करना आवश्यक लगता है तथा दिल्ली के सभी जिला कोर्ट में इस प्रैक्टिस को मानकीकृत करने के लिए उचित निर्देश जारी करना चाहिए।"

जस्टिस नरूला ने कहा कि मानकीकृत प्रैक्टिस से अदालती कार्यवाही के दौरान उपस्थित वकीलों के नाम प्रस्तुत करने में आसानी होगी। साथ ही सभी जिला न्यायालयों में सटीक और सुसंगत रिकॉर्ड होगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और वकीलों के पेशेवर हितों की रक्षा होगी।

अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा,

"वर्तमान याचिका का निपटारा प्रधान जिला एवं सेशन जज (मुख्यालय) को सभी जिला कोर्ट को आवश्यक निर्देश जारी करने के निर्देश के साथ किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने वाले वकीलों की उपस्थिति आदेश पत्र में उचित रूप से दर्ज की गई।"

केस टाइटल: रंजीत कुमार ठाकुर बनाम यूओआई और ओआरएस।

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