दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 गोली लगने के बाद आयुर्वेदिक दवाओं से बचने के दावे वाली याचिका खारिज करने का फैसला बरकरार रखा

Update: 2025-03-07 08:45 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला की शिकायत खारिज करने का फैसला बरकरार रखा, जिसने दावा किया कि वह बिना सर्जरी या अस्पताल जाए, आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग करके अपने सिर और हृदय में लगभग 25 गोलियों के घावों के बावजूद बच गई।

जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने महिला की आपराधिक पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाले ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार रखा, जिसमें मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ महिला की शिकायत खारिज कर दी गई। साथ ही आरोपी के रूप में शामिल व्यक्तियों को समन जारी करने से भी इनकार कर दिया गया।

अदालत ने कहा,

“अदालत ने याचिकाकर्ता को धैर्यपूर्वक सुना है और 14.10.2024 को और फिर 06.02.2025 को उसके प्रस्तुतीकरण पर विचार किया। हालांकि, यह दुखद है कि यह अदालत याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों में कोई सुसंगतता या प्रमाणिकता नहीं देख पाई और न ही इस अदालत को मजिस्ट्रेट द्वारा दिनांक 20.09.2012 के आदेश के तहत शिकायत खारिज करने और सेशन कोर्ट द्वारा दिनांक 18.10.2012 के आदेश के तहत पुनर्विचार याचिका खारिज करने में कोई दोष खोजने का कोई कारण मिला है।”

शुरू में अदालत ने पाया कि मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट दोनों ने महिला का मामला यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसके तर्क और सबूत पहली नज़र में असंभव और अविश्वसनीय थे और किसी भी आरोपी व्यक्ति को बुलाने का कोई मामला नहीं बनता।

अपने आदेश में सेशन कोर्ट ने कहा था,

"शिकायतकर्ता की मानसिक स्थिति पर टिप्पणी करने से परहेज़ कर रहा हूं।"

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसने अपने ऊपर हुए हमले से एक महीने पहले चोटों को ठीक करने के लिए 'अर्निका 30' होम्योपैथिक दवा ली थी। उन्होंने आगे कहा कि संघर्ष के दौरान उन्होंने ऊतक की मरम्मत के लिए 'सिलिसिया 30' लिया। इसलिए उनके सिर, दिल और हाथ से गोलियां निकल गईं, जिसके बाद वह धीरे-धीरे ठीक हो गईं।

उन्होंने दावा किया था,

"मुझे आधे घंटे के बाद होश आया और मैं घर चली गई। मेरे सिर से अभी भी खून बह रहा था। मैंने 'हल्दी' लगाई और अगले दिन दोपहर तक कुछ भी खाने से परहेज किया। मैंने किसी अस्पताल या डॉक्टर या सर्जन और यहां तक ​​कि होम्योपैथिक चिकित्सक से भी मुलाकात नहीं की और मैं अगले दिन रिक्शा में अदालत पहुंची।”

अपने आदेश में सेशन कोर्ट ने कहा कि यह बिल्कुल अविश्वसनीय है कि व्यक्ति, जिसे 25 गोलियां लगी हों वह होश में रहते हुए अपने घर वापस जा सकता है, खून बहता हुआ और फिर पूरी रात अच्छी नींद ले सकता है।

ट्रायल कोर्ट ने कहा था,

"यह एक परीकथा की तरह लगता है कि उसके सिर और हाथों में लगी गोलियां केवल होम्योपैथिक गोलियों के सेवन के कारण अपने आप निकल गईं।”

न्यायालय ने विवादित आदेश का अवलोकन करते हुए कहा कि वह महिला द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों में कोई सुसंगतता या प्रमाणिकता नहीं देख पा रहा है।

न्यायालय ने कहा,

“इस न्यायालय को सीआर संख्या 483/12 में सेशन कोर्ट द्वारा पारित दिनांक 18.10.2012 के विवादित आदेश या सीसी संख्या 15/1 में मजिस्ट्रेट द्वारा पारित दिनांक 20.09.2012 के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। तदनुसार याचिका खारिज की जाती है।”

टाइटल: सी शर्मा बनाम नवदीप सिंह एवं अन्य।

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