'मौखिक आश्वासन के बावजूद CMRL के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई', SFIO जांच के खिलाफ याचिका रोस्टर बेंच के समक्ष सूचीबद्ध की: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि Cochin Minerals and Rutiles Limited (CMRL) के खिलाफ शिकायत उस मौखिक आश्वासन के बावजूद दायर की गई, जिसमें केंद्र सरकार ने कहा था कि जांच तो जारी रहेगी लेकिन जब तक याचिका लंबित है तब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी।
जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद ने यह टिप्पणी CMRL, Exalogic Solutions Pvt. Ltd. (केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की बेटी टी. वीणा की कंपनी) और अन्य के खिलाफ SFIO जांच को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान की।
मामला
CMRL की याचिका पर हाईकोर्ट की एक बेंच ने दिसंबर, 2023 में फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन मार्च 2024 में जज के तबादले के बाद मामला रिलीज कर दिया गया।
फिर 9 अप्रैल को जब मामला जस्टिस गिरीश कथपालिया के समक्ष सूचीबद्ध हुआ तो CMRL, टी. वीणा और Exalogic के खिलाफ शिकायत दायर कर दी गई।
CMRL के वकील ने कहा कि एक मौखिक सहमति हुई कि याचिका के निर्णय तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी, भले ही जांच जारी रहे। लेकिन ASG ने इस दावे को सिरे से खारिज किया।
जस्टिस कथपालिया ने फिर मामला जस्टिस प्रसाद को भेजा, क्योंकि मौखिक सहमति उन्हीं की अदालत में हुई थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रसाद ने मौखिक रूप से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सलाह दी कि ऐसे मौखिक आश्वासन लिखित रूप में लिए जाएं लेकिन कई बार अदालतें वकीलों के शब्दों पर भरोसा करती हैं।
उन्होंने कहा,
“मुझे साफ-साफ याद है कि स्पष्ट मौखिक आश्वासन दिया गया था कि याचिका लंबित रहने तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी केवल जांच चल सकती है।”
उन्होंने केंद्र सरकार के वकील से पूछा,
“जब यह आश्वासन दिया गया कि शिकायत दर्ज नहीं होगी, तो फिर शिकायत क्यों दर्ज की गई?”
यह शिकायत अब केरल हाईकोर्ट में लंबित है (जिसने 16 अप्रैल को SFIO रिपोर्ट पर 2 महीने के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था) इसलिए दिल्ली हाईकोर्ट इस पर कोई विस्तृत टिप्पणी नहीं कर सकती।
जस्टिस प्रसाद ने रिकॉर्ड पर लिया कि जब मामला उनके समक्ष सुना गया तब भारत सरकार की ओर से मौखिक रूप से यह आश्वासन दिया गया कि जांच जारी रहेगी लेकिन शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी।
इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिया,
"इस स्पष्टीकरण के साथ मामला फिर से रोस्टर बेंच को भेजा जाता है। माननीय चीफ जस्टिस के आदेश के अधीन इसे संबंधित बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।"
SFIO ने रिपोर्ट में आरोप लगाया कि CMRL ने 197.7 करोड़ का धोखाधड़ी किया, जिसमें से एक हिस्सा मुख्यमंत्री की बेटी वीणा और उनकी कंपनी को भुगतान के रूप में गया। आरोप है कि कंपनी के सुचारु संचालन के लिए कुछ राजनीतिक हस्तियों को भुगतान किया गया और IT व मार्केटिंग कंसल्टेंसी के नाम पर फर्जी भुगतान किए गए।
SFIO रिपोर्ट के आधार पर एर्नाकुलम सेशंस कोर्ट ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धाराओं 129(7), 134(8), 447, 448 व 447 के तहत संज्ञान लिया।
केस टाइटल: CMRL बनाम भारत संघ