अगस्ता वेस्टलैंड मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने क्रिश्चियन मिशेल की याचिका सुनने से किया इनकार, भारत–यूएई प्रत्यर्पण संधि को चुनौती देने की अनुमति नहीं

Update: 2025-11-17 07:42 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल की उस याचिका को सुनने से इनकार किया, जिसमें उसने भारत–यूएई प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 17 को चुनौती दी थी। यह संधि वर्ष 1999 में लागू हुई थी और इसी के तहत मिशेल को दिसंबर 2018 में दुबई से भारत प्रत्यर्पित किया गया था।

मिशेल का तर्क था कि सामान्यतः किसी व्यक्ति को उसी अपराध के लिए अभियोजित किया जा सकता है, जिसके लिए उसका प्रत्यर्पण हुआ हो लेकिन अनुच्छेद 17 भारत सरकार को उससे संबद्ध अपराधों के लिए भी अभियोजन चलाने की अनुमति देता है। उसके अनुसार यह सिद्धांत स्पेशियलिटी रूल के विपरीत है।

जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने याचिका पर विचार करने से ही इनकार करते हुए कहा कि याचिका में कोई प्रत्यक्ष राहत मांगी ही नहीं गई।

अदालत ने कहा,

“कोई परिणामी राहत नहीं मांगी गई। हम केवल घोषणा क्यों दें? बेहतर याचिका दायर करें आप दो विकल्प चुन सकते हैं। नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता, या फिर अभी दलील दें और हम याचिका का निपटारा कर देंगे। हालांकि, तब भी कोई राहत नहीं मिलेगी। केवल घोषणा का अधिकार तब मिलता है जब आपके पास ठोस कारण हो। यहां कारण कहां है?”

खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह संधि भारतीय संसद द्वारा पारित कानून नहीं है, इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित करने का प्रश्न ही नहीं उठता।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा,

“यह संधि संसद द्वारा पारित नहीं है। यह किसी विधेयक की तरह है जो कानून नहीं होता आप कह रहे हैं कि दो देशों के बीच कोई संधि है। यह कानून नहीं है एक प्रस्तावित विधेयक जैसा है। प्रस्तावित विधेयक को असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता।”

इस टिप्पणी के बाद मिशेल ने अपनी याचिका वापस ले ली और अदालत ने उसे नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी।

मामले की पृष्ठभूमि

क्रिश्चियन मिशेल को अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में कथित बिचौलिया बताया जाता है। CBI का आरोप है कि 8 फरवरी 2010 को वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए हुए 556.262 मिलियन यूरो के सौदे में लगभग 398.21 मिलियन यूरो (करीब 2666 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ।

ED ने जून 2016 में मिशेल के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करते हुए आरोप लगाया कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से 30 मिलियन यूरो (लगभग 225 करोड़ रुपये) की अवैध राशि प्राप्त की।

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