दिल्ली हाईकोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल चुनाव लड़ने की वकील की याचिका खारिज की, अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित होने का हवाला दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक वकील की याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के आगामी चुनावों में भाग लेने की अनुमति मांगी थी।
जस्टिस मिनी पुष्कर्णा की एकल पीठ ने एडवोकेट लोकिंदर सिंह फौगाट की याचिका को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया।
फौगाट ने यह आवेदन उस लंबित याचिका में दाखिल किया, जिसमें उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें किसी भी प्रकार की कानूनी प्रैक्टिस करने से रोका गया था।
BCI ने साथ ही पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल को यह निर्देश भी दिया कि वह फौगाट के खिलाफ हरियाणा पुलिस की सतर्कता शाखा के माध्यम से एक शिकायत दर्ज कराएं।
लोकिंदर सिंह फौगाट जो रोहतक जिला बार एसोसिएशन के आठ बार अध्यक्ष रह चुके हैं, ने दलील दी कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में बार काउंसिल द्वारा जारी निलंबन या प्रतिबंध संबंधी आदेशों को स्थगित रखने का निर्देश दिया था। इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता।
BCI के वकील ने अदालत के समक्ष 29 अक्टूबर को जारी अधिसूचना प्रस्तुत की, जिसमें स्पष्ट किया गया कि बार काउंसिल का सदस्य बनने के इच्छुक किसी भी वकील के खिलाफ चुनाव से नौ महीने पहले तक कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित नहीं होनी चाहिए।
अदालत को सूचित किया गया कि फौगाट के खिलाफ दो अनुशासनात्मक मामले वर्तमान में लंबित हैं।
अदालत ने कहा,
“बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार किसी भी वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक समिति में कोई मामला लंबित नहीं होना चाहिए यदि वह बार काउंसिल का सदस्य बनने का इच्छुक है। चूंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ ऐसे मामले लंबित हैं, इसलिए इस अधिसूचना का उल्लंघन करते हुए कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।”
अदालत ने आगे कहा कि प्रस्तुत परिस्थितियों में याचिका में कोई मेरिट नहीं पाई गई और इसे खारिज किया जाता है।
पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल ने पहले ही फौगाट को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करते हुए मामले को अनुशासनात्मक समिति को सौंप दिया था। यह कार्रवाई बार एसोसिएशन के वित्तीय मामलों में कथित अनियमितताओं के आरोपों के चलते की गई थी।
इसके बाद फौगाट ने BCI के समक्ष अपील की थी जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कानूनी प्रैक्टिस से प्रतिबंधित करने का आदेश पारित हुआ था।