दिल्ली हाईकोर्ट AAP सांसद राघव चड्ढा की सरकारी बंगले के आवंटन रद्द करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा
दिल्ली हाईकोर्ट आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें पिछले साल राज्यसभा सचिवालय द्वारा उनके सरकारी बंगले के आवंटन को रद्द करने संबंधी पत्र को चुनौती दी गई।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने की। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने 26 नवंबर को निचली अदालत द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती देने के लिए याचिका में प्रार्थना खंड में संशोधन करने के लिए समय मांगा, जिसमें चड्ढा के सिविल मुकदमे में अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
निचली अदालत ने माना कि चड्ढा को आवास बनाए रखने की अनुमति देने का कोई कानूनी औचित्य नहीं है। इसने निषेधाज्ञा या स्थगन आदेश भी रद्द कर दिया था, जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा को बेदखल न करने का निर्देश दिया गया था। सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्यसभा के वकील से मौखिक रूप से पूछा कि निषेधाज्ञा आदेश को रद्द करने की क्या अनिवार्यता थी।
न्यायालय ने कहा,
"दावा की गई राहतों में से एक यह है कि बेदखली की धमकी के संबंध में निषेधाज्ञा को खाली करने की क्या अनिवार्यता थी? वह आदेश के खिलाफ नहीं हैं।"
इसके बाद वकील ने जवाब दिया कि चड्ढा ट्रायल कोर्ट के आदेश को रिट याचिका में चुनौती नहीं दे सकते और उनकी याचिका ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील नहीं है। हालांकि पीठ ने कहा कि चड्ढा मौजूदा कार्यवाही में भी ऐसा कर सकते हैं। तदनुसार, सिंघवी ने संबंधित आदेश को चुनौती देने के लिए याचिका के प्रार्थना खंड में संशोधन करने की अनुमति मांगी। ट्रायल कोर्ट ने माना कि चड्ढा को आवंटन के लिए दिशानिर्देशों के अनुरूप टाइप-VI आवास पहले ही आवंटित किया जा चुका है।
चड्ढा ने अब राज्यसभा सचिवालय के निदेशक द्वारा 03 मार्च, 2023 को जारी किए गए पत्र को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उनके सरकारी बंगले के आवंटन रद्द कर उन्हें दूसरा आवास आवंटित किया गया। इस बीच चड्ढा ने अधिकारियों को रद्दीकरण पत्र के तहत या उसके अनुसार कोई भी कार्रवाई न करने के निर्देश भी मांगे।
मामले के बारे में
पिछले साल एडिशनल जिला जज ने राज्यसभा सचिवालय को निर्देश देते हुए अंतरिम आदेश रद्द कर दिया था कि वह कानूनी प्रक्रिया के बिना चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल न करे।
निचली अदालत ने माना था कि चड्ढा को सरकारी बंगले पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है, क्योंकि उसका आवंटन रद्द कर दिया गया और उन्हें दिया गया विशेषाधिकार वापस ले लिया गया।
निचली अदालत ने चड्ढा की इस दलील को भी खारिज किया कि एक बार सांसद को दिए गए आवास को सांसद के पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी परिस्थिति में रद्द नहीं किया जा सकता।
इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ चड्ढा की अपील को स्वीकार किया था। निर्देश दिया गया कि निचली अदालत कानून के अनुसार चड्ढा के मुकदमे पर आगे बढ़ेगी।
केस टाइटल: राघव चड्ढा बनाम भारत संघ और अन्य।