दिल्ली हाईकोर्ट ने जीवन ज्योति योजना के दावों के लिए मृतक व्यक्तियों का डेटा LIC के साथ साझा करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका खारिज की, जिसमें गृह मंत्रालय को देश में मृतक व्यक्तियों का डेटाबेस जीवन बीमा निगम (LIC) को उपलब्ध कराने के लिए अनिवार्य करने की मांग की गई थी, जिससे मृतक पॉलिसीधारकों के परिवार के सदस्य या नामित व्यक्ति प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत लाभ का दावा कर सकें।
जनहित याचिका में LIC को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) के सभी पॉलिसीधारकों को पॉलिसी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में गृह मंत्रालय (MHA) को सभी मृतक व्यक्तियों की जानकारी LIC को उपलब्ध कराने के निर्देश देने की भी मांग की गई, जिससे मृतक पॉलिसीधारकों के नामित/परिवार के सदस्य सीधे पीएमजेजेबीवाई के तहत 2 लाख रुपये का बीमा दावा प्राप्त कर सकें।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (पॉलिसी धारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2017 के विनियमन 8(1) के तहत आवश्यक रूप से LIC PMJJBY के पॉलिसी धारकों को पॉलिसी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रहा है। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि गृह मंत्रालय के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त देश के सभी मृतक व्यक्तियों का डेटाबेस वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के साथ साझा नहीं कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यदि गृह मंत्रालय द्वारा DFS और LIC को ऐसी जानकारी प्रदान की जाती है तो DFS/LIC यह निर्धारित कर सकता है कि किस मृतक व्यक्ति के पास बीमा पॉलिसी थी।
चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत प्रदान की जाती है तो इससे घोटाला हो सकता है, जहां पॉलिसी के तहत लाभ उन व्यक्तियों द्वारा हड़पे जा सकते हैं, जिन्होंने इसके लिए आवेदन नहीं किया।
खंडपीठ ने कहा,
"इस न्यायालय का यह भी मानना है कि यदि वर्तमान रिट याचिका में सुझाए गए तरीके से कार्यवाही की जाती है तो इससे घोटाला हो सकता है, क्योंकि पॉलिसी के तहत लाभ ऐसे व्यक्तियों द्वारा हड़पे जा सकते हैं, जिन्होंने आवेदन नहीं किया और जिनका सत्यापन नहीं हुआ।"
न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मृतक के परिवार के सदस्यों या नामांकित व्यक्तियों द्वारा लिखित कोई पत्र प्रस्तुत नहीं किया, जिसमें पॉलिसी धारकों को पॉलिसी दस्तावेज जारी न किए जाने की शिकायत की गई हो। न्यायालय ने कहा कि याचिका इस अनुमान और धारणा पर आधारित थी कि परिवार के सदस्यों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि मृतक के पास PMJJBY के तहत बीमा पॉलिसी है और पॉलिसी धारक को कोई पॉलिसी दस्तावेज नहीं भेजे गए।
न्यायालय ने कहा कि पॉलिसी धारकों को अशिक्षित या राहत पाने के लिए न्यायालयों में जाने में असमर्थ नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने आगे कहा कि बीमा अनुबंध के संबंध में जनहित याचिका सामान्यतः स्वीकार्य नहीं होती, क्योंकि ऐसा अनुबंध पक्षों के बीच होता है। इस प्रकार न्यायालय ने याचिका में कोई योग्यता नहीं पाई और इसे खारिज कर दिया।
केस टाइटल: आकाश गोयल बनाम भारत संघ एवं अन्य।