NEET: तकनीकी गड़बड़ियों के कारण समय की हानि झेलने वाले उम्मीदवारों की शिकायतों के समाधान के लिए स्थायी समिति बनाए NTA: दिल्ली हाईकोर्ट
NEET-UG 2025 से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को निर्देश दिया कि वह उन उम्मीदवारों की शिकायतों के निवारण के लिए स्थायी शिकायत निवारण समिति (Standing Grievance Redressal Committee) का गठन करें, जिन्हें परीक्षा के दौरान तकनीकी समस्याओं के कारण बिना किसी गलती के समय की हानि उठानी पड़ी है।
जस्टिस विकास महाजन ने यह भी निर्देश दिया कि यह स्थायी समिति परीक्षा की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए कोई अधिक उपयुक्त फॉर्मूला भी तैयार करने के लिए स्वतंत्र होगी।
अदालत ने टिप्पणी की कि ऐसे व्यक्तिगत मामलों का संज्ञान उसके पास आया है, जहां उम्मीदवारों को तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से परीक्षा का समय नष्ट हुआ। यह हानि उनकी गलती के कारण नहीं हुई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संवैधानिक अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे हर ऐसे छात्र के मामले में CCTV फुटेज देखकर जांच करें।
एक पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत विशेषज्ञों की समिति के माध्यम से ऐसे मामलों की जांच होनी चाहिए।
अदालत ने आदेश दिया,
“उत्तरदाता संख्या-1/NTA को निर्देशित किया जाता है कि यदि पहले से कोई ऐसी समिति गठित नहीं है तो स्थायी शिकायत निवारण समिति का गठन करें, जहां पीड़ित उम्मीदवार अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें। यह समिति परीक्षा की प्रकृति के अनुसार कोई अधिक उपयुक्त फॉर्मूला तैयार करने के लिए भी स्वतंत्र होगी।”
यह आदेश उस याचिका पर आया, जिसमें एक उम्मीदवार ने दावा किया था कि आधार पहचान सत्यापन के नाम पर परीक्षा के बीच में बार-बार रोके जाने और उत्पीड़न के चलते उसे NEET (UG) 2025 परीक्षा में महत्वपूर्ण समय का नुकसान हुआ।
उम्मीदवार का कहना था कि वह निर्धारित समय के भीतर परीक्षा केंद्र पहुंच गया लेकिन बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिस्टम की असफलता के कारण उसकी पहचान सत्यापित नहीं हो सकी, जिसके चलते उसे परीक्षा कक्ष में प्रवेश देने में देरी हुई। अदालत ने यह भी नोट किया कि तीन प्रयासों के बावजूद बायोमेट्रिक सत्यापन नहीं हो सका। इसके बाद अधिकारियों ने उसे पुनः सत्यापन के लिए सीट से उठने को कहा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी उम्मीदवारों को समान समय दिया जाता है और वे उसे अपनी इच्छा के अनुसार उपयोग कर सकते हैं। लेकिन यदि किसी छात्र से वह समय छीना जाता है तो उसके उपयोग न करने का तर्क देकर उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।
कोर्ट ने यह मानते हुए कि याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के 3 मिनट और 32 सेकंड का नुकसान हुआ NTA को निर्देश दिया कि उसे नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले के अनुसार ग्रेस मार्क्स प्रदान किए जाएं और उसका अपडेटेड स्कोरकार्ड उपलब्ध कराया जाए।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधित स्कोर और रैंक के आधार पर याचिकाकर्ता शेष काउंसलिंग में भाग लेने का पात्र होगा। साथ ही यह किसी पहले से आवंटित सीट को प्रभावित नहीं करेगा।
टाइटल: Satya Nishth v. National Testing Agency (NTA) & Ors.