आर्यन खान की सीरीज़ पर रोक की सामीर वानखेडे की मांग का नेटफ्लिक्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में किया विरोध
नेटफ्लिक्स ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में IRS अधिकारी सामीर वानखेडे द्वारा दायर उस मानहानि मुकदमे का कड़ा विरोध किया, जिसमें उन्होंने आर्यन खान निर्देशित नेटफ्लिक्स सीरीज़ “Ba*ds of Bollywood” में अपनी कथित नकारात्मक छवि को लेकर आपत्ति जताई।
जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव के समक्ष नेटफ्लिक्स की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने दलील दी कि इस प्रकार के मामलों में मानहानि का पैमाना बहुत ऊंचा होता है, जिसे अंतरिम चरण में साबित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वानखेडे को मुकदमे के दौरान यह साबित करना पड़ेगा कि सामग्री दुर्भावनापूर्ण है, तभी उन्हें हर्जाना मिल सकता है।
नायर ने कहा कि केवल यह दिखाने भर से कि शो शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान द्वारा बनाया गया, मानहानि सिद्ध नहीं होती।
उन्होंने कोर्ट से कहा,
“उन्हें दुर्भावना साबित करनी होगी।"
नेटफ्लिक्स की ओर से यह भी प्रस्तुत किया गया कि वानखेडे से जुड़ी जांचों और उगाही के आरोपों से संबंधित सामग्री 2022 से सार्वजनिक डोमेन और सोशल मीडिया पर उपलब्ध है लेकिन उन्होंने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में कानूनन कोर्ट अंतरिम निषेधाज्ञा नहीं दे सकती। वानखेडे को हर्जाने की राहत का रास्ता मुकदमे में खुला है।
नायर ने यह भी कहा कि वानखेडे स्वयं स्वीकार करते हैं कि वे मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं और आलोचना झेलना उन्हें असहज नहीं करता लेकिन मात्र डेढ़ मिनट की व्यंग्यात्मक प्रस्तुति पर उन्होंने आपत्ति जताई। नायर ने तर्क दिया कि यह सीरीज़ बॉलीवुड संस्कृति पर आधारित व्यंग्य और डार्क कॉमेडी है जिसे मानहानि के आधार पर रोका नहीं जा सकता।
अदालत ने वानखेडे की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और CBI की उनसे संबंधित जांचों में पारित आदेशों की प्रतियां और प्रतिउत्तर पर लिखित नोट अगली सुनवाई से पहले दाखिल की जाएं। अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
वानखेडे की मांग और आरोप
वानखेडे ने दो करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा, जिसे वे टाटा मेमोरियल अस्पताल में कैंसर रोगियों के उपचार हेतु दान करना बताते हैं। उन्होंने स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग की है ताकि कथित झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक वीडियो को प्रसारित होने से रोका जा सके।
मुकदमे में रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट नेटफ्लिक्स, एक्स कॉर्प, गूगल, मेटा, आरपीजी लाइफस्टाइल मीडिया और जॉन डो को प्रतिवादी बनाया गया।
वानखेडे का आरोप है कि यह सीरीज़ जानबूझकर उनके खिलाफ रंगपूर्वक और पूर्वाग्रही ढंग से तैयार की गई, जबकि उनसे जुड़ा मामला अभी बॉम्बे हाईकोर्ट और NDPS स्पेशल कोर्ट में विचाराधीन है।
इसके अलावा, वानखेडे ने आरोप लगाया कि सीरीज़ में एक पात्र सत्यमेव जयते कहने के बाद अश्लील मध्यमा अंगुली दिखाता है, जो राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के उल्लंघन के दायरे में आता है और दंडनीय है।
मुकदमे में यह भी कहा गया कि सीरीज़ की सामग्री IT Act और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के विभिन्न प्रावधानों के खिलाफ है और राष्ट्रीय भावना को आहत करने वाली आपत्तिजनक सामग्री प्रस्तुत करती है।