अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला: दिल्ली हाईकोर्ट ने ED मामले में जमानत शर्तों में संशोधन के लिए क्रिश्चियन मिशेल की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को ब्रिटिश आर्म्स काउंसलर क्रिश्चियन जेम्स मिशेल द्वारा अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज की गई FIR में जमानत शर्तों में संशोधन की मांग करने वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा।
जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने मिशेल और ED की ओर से पेश वकीलों की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा और कहा कि मामले में विस्तृत आदेश पारित किया जाएगा।
मिशेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही में शामिल हुए। वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।
मिशेल ने मांग की कि 5 लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने की शर्त में ढील दी जाए। उन्होंने यह भी प्रार्थना की है कि पासपोर्ट जमा करने की शर्त को रद्द किया जाए।
उनका कहना है कि उनका पुराना पासपोर्ट समाप्त हो चुका है और नया पासपोर्ट प्राप्त करने की प्रक्रिया में कम से कम चार से आठ सप्ताह लगने की संभावना है।
सुनवाई के दौरान मिशेल के वकील ने कहा कि चूंकि वह विदेशी नागरिक है, इसलिए भारत से कोई भी व्यक्ति उसकी जमानत के लिए आगे नहीं आएगा।
वकील ने आगे कहा कि मिशेल को जमानत मिलने के बाद भी उसके पासपोर्ट के नवीनीकरण तक जेल में नहीं रखा जा सकता।
इस याचिका का ED के वकील ने इस आधार पर विरोध किया कि जमानत की शर्तें उचित और न्यायसंगत हैं।
यह कहा गया कि अगर मिशेल कोई स्थानीय जमानती पेश नहीं करता है तो भारत में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है।
जस्टिस शर्मा ने 04 मार्च को मिशेल को जमानत दी थी। 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कथित घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में मिशेल को जमानत दी थी।
जस्टिस शर्मा ने मिशेल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी क्योंकि वह करीब छह साल और दो महीने की जेल की सजा काट चुका है।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसे सीबीआई मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर जमानत दी है कि जांच पूरी नहीं हुई है और मुकदमा भी शुरू नहीं हुआ है।
इससे पहले 2022 में समन्वय पीठ द्वारा कथित घोटाले से संबंधित सीबीआई और ED मामलों में मिशेल को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। दुबई से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद दिसंबर 2018 में उसे गिरफ्तार किया गया था। वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में हुए कथित अवैध लेन-देन के लिए उसे 'बिचौलिया' कहा जाता है।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 556.262 मिलियन यूरो मूल्य के वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए 8 फरवरी, 2010 को हस्ताक्षरित सौदे में सरकारी खजाने को 398.21 मिलियन यूरो (लगभग 2666 करोड़) का अनुमानित नुकसान हुआ था।
इसके बाद ED ने जून, 2016 में मिशेल के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से 30 मिलियन यूरो (लगभग 225 करोड़ रुपये) प्राप्त किए थे।
केस टाइटल: क्रिश्चियन मिशेल जेम्स बनाम ईडी