महिला सुरक्षा : छेड़छाड़ के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए बसों में पोस्टर लगाने पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

Update: 2023-10-10 04:43 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला सुरक्षा को मजबूत करने के लिए छेड़छाड़ के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में बसों और अन्य सार्वजनिक परिवहन में पोस्टर या होर्डिंग्स लगाने पर दिल्ली सरकार से उसका रुख पूछा है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उसके वकील को उक्त पहलू पर निर्देश लेने के लिए छह सप्ताह का समय दिया।

पीठ निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के बाद राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे से संबंधित वर्ष 2012 में शुरू की गई एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

एमिकस क्यूरी एडवोकेट मीरा भाटिया ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली सरकार को ऐसे पोस्टर लगाने पर विचार करना चाहिए जिसमें उल्लेख किया गया हो कि छेड़छाड़ एक गंभीर और दंडनीय अपराध है क्योंकि यह निश्चित रूप से एक निवारक के रूप में कार्य करेगा।

दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि सीसीटीवी पोल पर "पुश-टू-टॉक या पैनिक बटन" की स्थापना दिल्ली पुलिस के टैक्नोलॉजी डिवीज़न द्वारा सक्रिय विचाराधीन है।

अदालत ने कहा, ''उसे छह सप्ताह का समय दिया जाता है।''

दूसरी ओर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की ओर से पेश वकील ने अदालत को यह भी बताया कि राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न संवेदनशील इलाकों में 6630 सीसीटीवी कैमरे पहले ही लगाए जा चुके हैं और वे काम कर रहे हैं।

अब इस मामले की सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।

अगस्त में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि पांच मास्टर कंट्रोल रूम में लगे सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है।

दिल्ली पुलिस के वकील ने खंभों पर उक्त पैनिक बटन लगाने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए अदालत से समय भी मांगा था और कहा था कि अधिकारी निश्चित रूप से इस पर विचार करेंगे।

पीठ ने पहले दिल्ली पुलिस को राष्ट्रीय राजधानी के संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया था। पीठ ने देखा कि इस उपाय से महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

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