वकीलों को निडर होने के साथ साथ शिष्ट और विनम्र भी होना चाहिए, जस्टिस सिस्तानी ने दिल्ली हाईकोर्ट में विदाई लेते हुए कहा

Update: 2020-03-06 13:57 GMT

" अधिवक्ताओं को निडर होना चाहिए, लेकिन साथ ही उन्हें शिष्ट और विनम्र भी होना चाहिए। न केवल अदालत के लिए, बल्कि एक दूसरे के लिए भी।"

ये बातें न्यायमूर्ति सिस्तानी ने दिल्ली हाईकोर्ट से अपनी विदाई के समय कहीं। न्यायाधीश के रूप में वर्षों तक सेवा देने के बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय से विदाई ले ली है।

न्यायमूर्ति सिस्तानी ने अपने भाषण की शुरुआत यह कहते हुए की कि उनके पास साझा करने और बताने के लिए बहुत कुछ है, खासकर उस समय जब वह विदाई ले रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'बार के साथ जो प्यार और जुड़ाव मेरा बना हुआ है, वह कम नहीं होगा, लेकिन स्थिति बदल सकती है।'

न्यायमूर्ति सिस्तानी ने अपने करियर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए क्रिकेट के लिए उनके प्यार और उनके पिता के साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे बताया, जो अदालत के वरिष्ठ वकील थे।

उन्होंने कहा कि-

'धीरे-धीरे मैंने क्रिकेट के क्षेत्र से दूर जाना शुरू कर दिया और अपने पिता के कार्यालय के सम्मेलनों की ओर जाने लगा। इस तरह मैंने कानूनी पेशे में प्रवेश किया।'

उन्होंने युवा वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि वे अच्छी तरह से तैयार किए गए ब्रीफ और नोट्स के साथ हमेशा पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में गए। उन्होंने कहा कि-

'कानूनी पेशेवर परिवार से संबंधित होने से आपको बढ़ावा मिलता है। हालांकि, जब तक आप कड़ी मेहनत नहीं करते और अपने उत्साह को साबित नहीं करते, सफलता आपके पास नहीं आने वाली। यदि आप अपनी फाइलें पढ़ते हैं तो आप अदालत में बहुत खुश व्यक्ति हैं।'

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उन्होंने अपने सभी विनम्र प्रयासों के साथ अपने प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए इस अदालत में अपनी सेवाएं दी हैं।

इसके अलावा न्यायमूर्ति सिस्तानी ने रजिस्ट्री को उनके कुशल काम के लिए धन्यवाद दिया ,जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी मामला फाइल होने के 24 घंट के भीतर इस अदालत में सूचीबद्ध कर दिया जाए।

न्यायमूर्ति सिस्तानी ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट देश की सर्वश्रेष्ठ अदालतों में से एक साबित हुई है। उन्होंने सभा को यह भी बताया कि वह अपने सहयोगी न्यायाधीशों के साथ हंसी के अपने ठहाकों को याद करेंगे। विशेष रूप से न्यायमूर्ति भंभानी के साथ बीता समय।

जस्टिस सिस्तानी ने कहा कि जब वह अपनी मां को खोने के दुःख से उबर रहे थे तो न्यायमूर्ति भंभानी ने उनके लिए ताकत के एक स्तंभ के रूप में काम किया था।

न्यायमूर्ति सिस्तानी ने कड़ी मेहनत करने वाले कानून के शोधकर्ताओं और इंटर्न को धन्यवाद देते हुए अपने भाषण का समापन किया। उन्होंने कहा कि-'अपनी कड़ी मेहनत के साथ, उन्होंने मेरे जीवन को बहुत आसान बना दिया।'

न्यायमूर्ति सिस्तानी की कोर्ट एक ''खुशहाल कोर्ट'

सेवानिवृत्त न्यायाधीश के सम्मान में दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अदालत के मुख्य भवन के केंद्रीय हॉल में एक विदाई कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश की अदालत में आधिकारिक पूर्ण-अदालत लगी।

पूर्ण अदालत के संदर्भ के दौरान खचाखच भरे कोर्ट रूम को संबोधित करते हुए, मुख्य न्यायाधीश डी.एन पटेल ने जस्टिस सिस्तानी के विभिन्न प्रतिष्ठित निर्णयों को पढ़ा।

उन्होंने जस्टिस सिस्तानी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध और बैडमिंटन और गोल्फ के प्यार के बारे में भी जानकारी दी। मुख्य न्यायाधीश के संबोधन के बाद, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर आचार्य ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के लिए अपना भाषण शुरू किया।

उन्होंने कहा कि-'जस्टिस सिस्तानी की अदालत एक खुशहाल कोर्ट थी। जब वह एक प्रतिकूल आदेश पारित करते थे, तब भी वकील अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ उस आदेश को ले लिया करते थे।'

उन्होंने जस्टिस सिस्तानी को उनकी अनुकरणीय समय की पाबंदी और विभिन्न ऐतिहासिक सामाजिक कल्याण निर्णयों के लिए धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि- 'आपकी लीडरशिप में आप कोर्ट में गर्मजोशी लाए।'

इसके बाद दिल्ली पुलिस के स्थायी वकील राहुल मेहरा ने जस्टिस सिस्तानी के शानदार करियर पर अपना संबोधन शुरू किया।

राहुल मेहरा ने बताया कि न्यायमूर्ति सिस्तानी इस अदालत में मजबूत मध्यस्थता प्रणाली के पीछे की ताकत थे। मेहरा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि न्यायमूर्ति सिस्तानी हमेशा समाज के सबसे कमजोर और सबसे पिछड़े वर्गों को त्वरित न्याय प्रदान करने में खुद को शामिल करते रहे हैं।

मेहरा ने कहा कि उन्होंने निरंतर प्रयास किया और न्यायपालिका और दिल्ली पुलिस के बीच एक सेतु बने रहे। मेहरा ने यह कहते हुए अपना संबोधन समाप्त किया कि वह न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति विपिन सांघी को अदालत के अगले वरिष्ठतम न्यायाधीशों के रूप में देखना चाहते हैं। 

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