पश्चिम बंगाल चुनावी हिंसा: कलकत्ता हाईकोर्ट ने कथित पीड़ितों की शिकायतों को दूर करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया

Update: 2022-04-20 10:45 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को इस आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के कारण 303 से अधिक पीड़ितों को विस्थापित किया गया है, जो कथित तौर पर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद हुई थी।

कोर्ट ने 19 अगस्त, 2021 के आदेश के तहत चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित महिलाओं के खिलाफ हत्या, बलात्कार और अपराध से संबंधित मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी, जबकि अन्य आपराधिक मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।

चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजरशी भारद्वाज की पीठ याचिकाकर्ता प्रियंका टिबरेवाल द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई सुना रही थी। इस याचिका में प्रस्तुत किया गया कि कथित हिंसा के कारण 303 से अधिक पीड़ितों को विस्थापित किया गया और बाद में उन्हें अपने-अपने घरों और कार्यस्थलों पर लौटने से रोका गया था।

बुधवार को प्रतिद्वंद्वी प्रस्तुतियों के अनुसार, न्यायालय ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।

इस सीमित में निम्नलिखित व्यक्ति शामिल हैं,

(i) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का सदस्य/नामित;

(ii) राज्य मानवाधिकार आयोग का सदस्य/नामित; और

(iii) सदस्य सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण।

न्यायालय ने समिति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले राज्य सरकार को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाए। समिति को कथित पीड़ितों की शिकायतों को दूर करने, उनके घरों और कार्यस्थलों पर लौटने के उनके अधिकार की जांच करने का भी निर्देश दिया गया।

याचिकाकर्ता ने बुधवार को अन्य 100 पीड़ितों की ओर से एक और हलफनामा प्रस्तुत किया, जो कथित हिंसा के कारण इसी तरह से विस्थापित हो गए थे और अपने घरों और कार्यस्थलों पर लौटने से रोक दिए गए थे।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ ने पहले तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसमें NHRC, SHRC और SLSA द्वारा नामित सदस्य शामिल थे, ताकि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान विस्थापित लोगों को उनके घरों में शांति से लौटने में सक्षम बनाया जा सके। इसके बाद, 18 जून, 2021 के आदेश के तहत पांच न्यायाधीशों की बेंच ने NHRC को एक समिति गठित करने का आदेश दिया था, जो पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों द्वारा दायर शिकायतों की जांच करेगी।

ऐसे निर्देश के तहत एनएचआरसी के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने शिकायतों की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया था।

याचिकाकर्ता ने इससे पहले खंडपीठ के समक्ष विस्तृत हलफनामा पेश किया था, जिसमें चुनाव के बाद की हिंसा के 303 कथित पीड़ितों के नाम और संपर्क विवरण दिए गए थे। अदालत ने पहले भी कथित पीड़ितों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की थी और पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक, पश्चिम बंगाल को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि पीड़ितों को पुलिस अधिकारियों या स्थानीय गुंडों द्वारा परेशान न किए जाए।

पिछली की तारीख को कोर्ट ने एनएचआरसी और डब्ल्यूबीएचआरसी की ओर से पेश वकीलों को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि क्या वे आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाने की स्थिति में हैं। याचिकाकर्ता ने चुनाव बाद हिंसा के 303 कथित पीड़ितों की शिकायतों के समाधान के लिए एनएचआरसी और राज्य मानवाधिकार आयोग से एक-दो सदस्यीय समिति के गठन के लिए प्रार्थना की थी।

केस शीर्षक: प्रियंका टिबरेवाल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

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