सड़क उल्लंघनों का पता लगाने के लिए एआई कैमरों के उपयोग को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण हतोत्साहित नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट

Update: 2023-06-23 09:28 GMT

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सड़क उल्लंघनों का पता लगाने के लिए एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) कैमरों का उपयोग करने के 'अभिनव उद्यम' को केवल परियोजना के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण हतोत्साहित नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस पी वी कुन्हिकृष्णन की एकल पीठ ने कहा कि परियोजना की पारदर्शिता और यहां तक कि भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर आपत्तियां हो सकती हैं। हालांकि, उनसे अलग से निपटा जाना चाहिए।

बेंच ने कहा,

“सड़कों पर एआई निगरानी कैमरे स्थापित करके मोटर वाहन अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए राज्य में एक अभिनव प्रणाली शुरू की गई है। हमें इसे पेश करने के लिए सरकार और उसके मोटर वाहन विभाग की सराहना करनी होगी। एआई कैमरों की स्थापना के खिलाफ किसी भी ओर से, यहां तक कि राज्य में विपक्षी दलों की ओर से भी कोई आलोचना नहीं हुई है। वे नये उद्यम को भी दिल से स्वीकार करते हैं। “

यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की गई जिसमें याचिकाकर्ताओं ने चिकित्सा आधार पर दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनने से छूट की मांग की थी।

हाल ही में, केरल विधानसभा के विपक्ष के नेता और विधायक वी.डी.सतीशन और विधायक रमेश चेन्निथला ने सुरक्षित केरल के लिए स्वचालित यातायात प्रवर्तन प्रणाली परियोजना में भ्रष्टाचार और गोपनीयता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

इस जनहित याचिका में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह अगले आदेश तक सड़क यातायात विनियमन के लिए (एआई) कैमरों की स्थापना से जुड़े ठेकेदारों को कोई वित्तीय भुगतान न करे।

वर्तमान याचिका में न्यायालय ने कहा कि भले ही इसके कार्यान्वयन में खामियां हो सकती हैं, लेकिन ऐसे उद्यम को हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा,

“कैमरे और अन्य उपकरण खरीदे जाने के निर्णय में पारदर्शिता को लेकर आपत्तियां हो सकती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि, भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते रहते हैं। यह एक अलग मामला है जिसे अलग से निपटाया जाना है। इस कारण से, मोटर वाहन विभाग द्वारा शुरू किए गए एक अभिनव उद्यम को हतोत्साहित नहीं किया जा सकता है। चूंकि इसे हाल ही में पेश किया गया है, इसलिए इसमें कुछ तकनीकी खामियां हो सकती हैं। निःसंदेह, इसे सुधारा जाना चाहिए। लेकिन प्रौद्योगिकी के इस नए युग में, सड़क नियम के उल्लंघन का पता लगाने के लिए एआई निगरानी कैमरे की स्थापना एक अभिनव कदम है। याचिकाकर्ता छूट प्राप्त करके एआई कैमरों से बच नहीं सकते।“

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि चूंकि वे चिकित्सा उपचार से गुजर रहे थे, इसलिए वे हेलमेट सहित अपने सिर पर भारी वस्तुएं नहीं रख सकते थे।

याचिकाकर्ताओं ने राज्य में सड़कों पर हाल ही में एआई निगरानी कैमरों की स्थापना के आलोक में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि किसी को भी दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनने से छूट नहीं दी जा सकती।

कोर्ट ने कहा,

“मेरी सुविचारित राय है कि, किसी नागरिक को दोपहिया वाहन चलाते समय या सवारी करते समय हेलमेट पहनने से कोई छूट नहीं दी जा सकती है। यदि याचिकाकर्ता किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं जिसके कारण वे हेलमेट पहनने में अक्षम हो जाते हैं, तो उन्हें अपनी दोपहिया वाहन की सवारी छोड़नी होगी। ऐसे में वे वाहन चलाते या सवारी करते समय हेलमेट पहनने से बच नहीं सकते। दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना नागरिक के जीवन की रक्षा करना है।“

याचिकाकर्ताओं ने केरल राज्य पुलिस प्रमुख और परिवहन आयुक्त को उन्हें छूट देने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, न्यायालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129 और केरल मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 347 का उल्लेख किया और कहा कि दोपहिया वाहन चलाने वाले और उसके पीछे बैठने वाले के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता एआई कैमरों से बच नहीं सकते और कानून का उल्लंघन नहीं कर सकते।

कोर्ट ने कहा,

“नागरिकों के जीवन की सुरक्षा राज्य का कर्तव्य है। इसलिए याचिकाकर्ताओं को यह कहकर हेलमेट पहनने की छूट नहीं दी जा सकती कि वे किसी बीमारी से पीड़ित हैं। देश के नियमों का पालन किए बिना दोपहिया वाहनों का उपयोग करने का किसी नागरिक को कोई मौलिक अधिकार नहीं है। राज्य में सार्वजनिक परिवहन सुविधा एवं निजी परिवहन सुविधा उपलब्ध है। यदि याचिकाकर्ता बीमारी से पीड़ित हैं तो वे इसका उपयोग कर सकते हैं। वे कानून का उल्लंघन नहीं कर सकते और बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन नहीं चला सकते और एआई कैमरों से बच नहीं सकते।''

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट जॉन जोसेफ और एंजेल ग्लोरिया वी.एस. उपस्थित हुए।

सरकारी वकील बी एस स्यमंतक राज्य की ओर से पेश हुए।

केस टाइटल: मोहनन वी.वी. केरल राज्य

साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (केरल) 287

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