क्वारंटाइन करने पर ट्रेड यूनियन के सदस्य की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य और बीएमसी से जवाब मांगा
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) के एक सदस्य की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई करते हुए गुरुवार को बॉम्बे हाइकोर्ट ने राज्य सरकार और बीएमसी को निर्देश दिया है कि वह इस याचिका पर अपना जवाब दायर करें। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने उसके एक साथी सदस्य को ''अवैध रूप से क्वारंटाइन''किया है।
न्यायमूर्ति सी.वी भदांग ने एक महेंद्र सिंह द्वारा दायर की गई इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में उसने सीआईटीयू के एक सदस्य के.नारायणन को रिहा करने की मांग की है, जिसे अंधेरी में स्थित बीएमसी के क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया और उसका फोन पुलिस ने जब्त कर लिया।
याचिका में कहा गया है कि नारायणन प्रवासी श्रमिकों और गरीबों को भोजन और आवश्यक आपूर्ति प्रदान कर रहा था। इस बीच 21 अप्रैल को सीआईटीयू ने सामाजिक दूरी का अभ्यास करने के उपायों के संबंध में एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। इसी के लिए नारायणन व दो अन्य लोग , इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले सदस्यों को दी जाने वाली तख्तियां लेकर जा रहे थे, तभी पुलिस ने उनसे संपर्क किया।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने उसे एसटीपीआर परीक्षण के लिए जोगेश्वरी भेजा और बाद में उसे अंधेरी में बीएमसी के क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया गया।
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील गायत्री सिंह पेश हुई और दलील दी कि उसे COVID-19 परीक्षण के संशोधित दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए क्वारंटाइन किया गया है। किसी भी तरह के मामले में उसे बीएमसी के सेंटर में क्वारंटाइन की जरूरत नहीं थी क्योंकि दिशानिर्देशों में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को घर में भी क्वारंटाइन किया जा सकता है।
वकील ने यह भी दलील दी कि याचिकाकर्ता की एसटीपीआर नेगेटिव आई थी और उसमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं था। हालांकि उसका टेस्ट 21 अप्रैल को किया गया था और उसका परिणाम भी अगले दिन आ गया था, परंतु याचिकाकर्ता को उसके टेस्ट की रिपोर्ट 29 अप्रैल को बताई गई।
अपने मुविक्कल से निर्देश लेने के बाद गायत्री सिंह ने पीठ को सूचित किया कि याचिकाकर्ता को कपड़े दे दिए गए हैं और उसका मोबाइल हैंडसेट भी पुलिस ने वापस कर दिया है।
दूसरी ओर, पीपी दीपक ठाकरे ने दलील दी कि नारायणन को दिशानिर्देशों के अनुसार क्वारंटाइन किया गया है। साथ ही, ठाकरे ने पीठ को सूचित किया कि नारायणन को 14 दिनों की अवधि के लिए क्वारंटाइन किया गया है। यह अवधि 3 या 4 मई, 2020 को समाप्त हो जाएगी।
जस्टिस भदांग ने कहा कि-
''ऐसा प्रतीत होता है कि परिस्थितियों के अनुसार दो अलग-अलग बयान हैं, जिनमें याचिकाकर्ता को बीएमसी के सेंटर में क्वारंटाइन या संस्थागत क्वारंटाइन किया गया था।''
अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।