मास्क पहनने के लिए कहने पर पुलिस वाले पर हमला करने वाले आर्किटेक्ट को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ज़मानत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को 27 साल के आर्किटेक्ट करन नायर को ज़मानत दे दी, जिसने उस सिपाही पर हमला कर दिया था, जिसने उसे मास्क पहनने को कहा था, जब वह मरीन ड्राइव पर टहल रहा था।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने इस व्यक्ति की ज़मानत याचिका पर सुनवाई की जो 8 मई से अभी तक जेल में है। अदालत ने कहा कि देश में कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए जेलों पर बहुत ज़्यादा दबाव है और आवेदनकर्ता का अपराध का यह पहला मौक़ा है, इसलिए उसे ज़मानत पर रिहा किया जाता है।
पुलिस इंस्पेक्टर जितेंद्र पांडुरंग कदम ने करन नायर नामक इस व्यक्ति को मास्क पहनने के लिए कहा था, जो मरीन ड्राइव पर टहल रहा था। इतना कहते ही नायर ने जो शायद अपनी निजी परेशानियों के कारण ठीक मानसिक स्थिति में नहीं था, पांडुरंग पर हमला कर दिया। कदम ने उसे खदेड़कर पकड़ लिया और तब से वह जेल में है।
वक़ील निरंजन मुंदरगी ने आवेदनकर्ता की पैरवी की जबकि एपीपी एआर कपडनिस ने राज्य की पैरवी की।
अदालत ने कहा,
"…एफआईआर को पढ़ने से स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता शहर में घोषित निषेधाज्ञा को लागू करने और क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने के कार्य के कारण काफ़ी दबाव में था और आवेदनकर्ता को यह आशंका थी कि उसे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा और शायद वह इस बात से भी ग़ुस्से में था कि पुलिस वाला सिर्फ़ इसलिए उसको खदेड़ रहा है, क्योंकि उसने मास्क नहीं पहना है और इस वजह से यह घटना घटी।"
न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा,
"महामारी के कारण आवेदनकर्ता जैसे युवाओं में एक ऊब और चिढ़ पैदा हो गई है और वे इस परिस्थिति के शिकार हो गए हैं।
विगत में किसी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होने और यह कि वह 27 साल का एक नौजवान है…और इस बात की उम्मीद कम है कि वह न्याय की गिरफ़्त से भागेगा, उसे ज़मानत पर छोड़े जाने का अधिकार है।
उसको ज़मानत दिए जाने का दूसरा कारण, इस समय पहले से ही दबाव झेल रहे जेल में अनावश्यक भीड़ नहीं बढ़ाने का और आवेदनकर्ता का यह पहला अपराध है और जेल में जिस तरह की स्थिति है, उसे जेल में नहीं रखा जा सकता।"
अदालत ने आवेदनकर्ता को ₹50,000 के निजी मुचलके और एक या दो ज़मानतदार पर ज़मानत पर छोड़ने का आदेश दिया। हालाँकि, इस समय उसे अस्थाई तौर पर छोड़ा जा रहा है।
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