COVID-19 वैक्सीन लेने के लिए नागरिकों को मनाने का प्रयास करें: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

Update: 2021-03-26 08:33 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को संक्रमण के लिहाज से अधिक संवेदनशील आबादी में रहने वाले नागरिकों को COVID-19 वैक्सीन लेने के लिए मनाने के लिए विशेष प्रयास करने का सुझाव दिया।

मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने कहा,

"बड़ी संख्या में लोग हैं, जो बेंगलुरु शहर में चल रहे निर्माण स्थल और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम करते हैं। सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार को घनी आबादी में रहने वाले नागरिक को, जो संक्रमण के लिहाज से संवेदनशील है, उन्हें कोरोना वैक्सीन लेने के लिए मनाने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए।"

पीठ ने कहा,

"शायद यह COVID-19 के संक्रमण के प्रसार को रोकने की दिशा में एक उपाय होगा। राज्य सरकार इस पहलू पर सुनवाई की अगली तारीख को जवाब दे।"

याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से कहा,

"टीकाकरण कैसे पहुंचता है यह महत्वपूर्ण है। यह केवल उन लोगों के लिए नहीं है जो वैक्सीन लेने या नहीं लेने का विकल्प चुनते हैं। इसे जनता तक पहुंचना होगा। सर्वश्रेष्ठ तरीका यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जाए। क्या यह राज्यों की ज़िम्मेदारी नहीं है कि जो 60 से ऊपर उम्र के हैं, वे स्वयं टीकाकरण के अधीन हैं? जिन्हें बुरी तरह से इसकी जरूरत है। उन्हें इसका पालन करना चाहिए।"

अतिरिक्त महाधिवक्ता ध्यान चिनप्पा ने कहा,

"नागरिकों और टीका की उपलब्धता के बीच संतुलन होना चाहिए।"

इस पर अदालत ने कहा,

"वैक्सीनेशन के लिए बड़े पैमाने पर कुछ जागरूकता अभियान शुरू किए जा सकते हैं।"

न्यायमूर्ति ओका ने मौखिक रूप से कहा कि,

"हम प्रशासन के साथ हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन वैक्सीनेशन के मुद्दे का अनुच्छेद 21 स्वास्थ्य के अधिकार और अंततः टीकाकरण का सीधा संबंध उन लोगों से है, जो अधिक संवेदनशील हैं।"

इस पर चिनप्पा ने जवाब दिया,

"हम उन्हें केवल वैक्सीन सेंटर तक आने के लिए मना सकते हैं। हम वहां टीका नहीं ले जा सकते और न ही उन्हें जबरदस्ती दे सकते हैं।"

अदालत ने मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। इसके साथ ही बीबीएमपी को उसके द्वारा उठाए गए रिकॉर्ड कदमों पर भी निर्देश दिया।

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