सुप्रीम कोर्ट ने कथित ड्रग्स प्लांटिंग मामले में ट्रायल जज के खिलाफ याचिका के लिए संजीव भट्ट पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट पर कथित ड्रग प्लांटिंग मामले में सुनवाई कर रहे पीठासीन न्यायाधीश के खिलाफ पक्षपात और अनुचितता का आरोप लगाने वाली याचिका दायर करने के लिए तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने भट्ट द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन को जमा करनी होगी।
याचिकाओं में से एक में मुकदमे को पालनपुर में वरिष्ठतम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बनासकांठा की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई, जिसमें वर्तमान सुनवाई न्यायाधीश पर पक्षपात का आरोप लगाया गया। एक अन्य याचिका में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड करने का निर्देश देने की मांग की गई। तीसरी याचिका में मामले में अतिरिक्त सबूत जोड़ने की मांग की गई।
जस्टिस विक्रम नाथ ने मामले की सुनवाई शुरू होते ही पूछा, "आप कितनी बार सुप्रीम कोर्ट गए हैं? कम से कम एक दर्जन बार?" इसके बाद जस्टिस नाथ ने इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश की ओर इशारा किया, जिसने 10,000/- रुपये के जुर्माने के साथ मुकदमे में तेजी लाने के हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ उनकी चुनौती को खारिज कर दिया था।
भट्ट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने कहा कि 19 गवाहों को बुलाने के लिए एक आवेदन दायर किया गया था, जो अभियोजन पक्ष के गवाहों का हिस्सा थे, जिन्हें बाद में हटा दिया गया था।
कामत ने पूछा, "अगर अभियोजन पक्ष ने इन गवाहों का हवाला दिया और उन्हें हटा दिया, और मैं उनसे गवाह के रूप में पूछताछ करना चाहता हूं तो इसे कष्टप्रद या मुकदमे में देरी करने का प्रयास कैसे कहा जा सकता है।" उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 233(3) का हवाला दिया।
हालांकि, पीठ मामलों पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी और उन्हें खारिज कर दिया।
भट्ट द्वारा दायर की गई तीन याचिकाएं कौन सी थीं?
पहली याचिका (एसएलपी (सीआरएल) संख्या 11884/2023) 24 अगस्त को जस्टिस समीर जे दवे की पीठ द्वारा मुकदमे को किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी।
दूसरी याचिका (एसएलपी (सीआरएल) संख्या 11943/2023) जस्टिस समीर जे दवे की पीठ द्वारा 24 अगस्त को पारित आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें मुकदमे की कार्यवाही को ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड करने की याचिका को खारिज कर दिया गया था।
तीसरी याचिका (डायरी संख्या 37428/2023) 5 मई को जस्टिस गीता गोपी की पीठ द्वारा 19 गवाहों को बुलाने की उनकी याचिका को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी ।