अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित सूची को संशोधित करने की शक्ति राज्य सरकार को नहीं : पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट ने हरियाणा सरकार की अधिसूचनाओं पर लगायी रोक
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 'गड़रिया' समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने की हरियाणा सरकार की दो अधिसूचनाओं पर सोमवार को यह कहते हुए रोक लगा दी कि राज्य सरकार को संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत किसी भी जाति, वर्ग या जनजाति या समुदाय के किसी हिस्से या समूह को अनुसूचित जाति में वर्गीकृत करने का अधिकार नहीं है।
हरियाणा प्रांत में समय-समय पर संशोधित संवैधानिक आदेश 1950 के तहत 'सांसी' अनुसूचित जाति की सूची में शामिल है। राज्य सरकार द्वारा पांच जुलाई 2019 को जारी अधिसूचना के अनुसार प्रांत में विमुक्त जातियों की सूची को संशोधित किया गया और अनुसूचित जातियों की सूची में 'गड़रिया' को 'सांसी' के पर्याय के तौर पर जोड़ा गया। तदनुसार, इस वर्ष सात जुलाई को एक और अधिसूचना जारी करके 'गड़रिया' जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र वितरित किये जाने का आदेश दिया गया।
मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की खंडपीठ ने कहा कि 'महाराष्ट्र सरकार बनाम मिलिंद एवं अन्य (2000)' और 'ई. वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार एवं अन्य (2004)' के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि राज्य सरकार के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित सूची को संशोधित करने का अधिकार नहीं है।
खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए उसके संबंधित आदेश/ अधिसूचनाओं पर सोमवार को रोक लगा दी।
सात जुलाई की अधिसूचना में कहा गया है, "गड़रिया जाति के लोगों द्वारा राज्य सरकार को समय-समय पर कई अभिवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें यह कहा गया है कि 'गड़रिया' भी 'सांसी' की ही उपजाति है और इसलिए उन्हें अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए।"
तदनुसार, यह स्पष्ट करने के लिए अधिसूचना जारी की गयी थी कि 'गड़रिया' जाति के लोगों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करते वक्त जाति के तौर पर सांसी (गड़रिया) लिखा जा सकता है।