सरकारी वकील निजी पक्षों के लिए हुए पेश: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, राज्य बार काउंसिल से जवाब तलब किया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ मामलों में कथित तौर पर निजी पक्षों की ओर से पेश हुए केंद्र के सरकारी वकील का पंजीकरण रद्द करने की मांग संबंधी रिट याचिका पर सोमवार को नोटिस जारी किये।
न्यायमूर्ति विवेक चौधुरी की पीठ ने केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ वेस्ट बंगाल, सरकारी वकील सयानतन बसु और अन्य निजी प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
एकल पीठ का यह निर्देश कनिष्क सिन्हा की याचिका पर आया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार के वकीलों के पैनल में शामिल श्री बसु सरकार के ही खिलाफ दायर याचिकाओं में निजी पक्षों के लिए प्रॉक्सी काउंसेल के तौर पर पेश होते रहे हैं।
ऐसे कई उदाहरण पेश करते हुए श्री सिन्हा ने दलील दी कि श्री बसु ने 'पेशागत मानकों से संबंधित नियमावली' के नियम 4 और 'मुवक्किल के प्रति वकील के दायित्व संबंधी नियमावली' के नियम 8 का उल्लंघन किया है।
इस मामले में केंद्र सरकार के आठ फरवरी 2018 के कार्यालय ज्ञापन पर भी भरोसा जताया गया, जिसमें पैनल वकीलों को सरकार के हितों के विरुद्ध मामलों को स्वीकार करने से प्रतिबंधित किया गया था।
याचिकाकर्ता की दलील थी, "मुकदमे की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपरिहार्य है। यह कानून का सिद्धांत है कि न केवल न्याय होना चाहिए, बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। यदि क्रिमिनल ट्रायल स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा पक्षपात से मुक्त नहीं है तो आपराधिक न्यायिक प्रणाली दांव पर लग जायेगी, जिससे जनता का विश्वास न्यायिक प्रणाली से डिगेगा तथा कानून का शासन संताप हो जायेगा।"
मामले की अगली सुनवाई अब आठ सप्ताह बाद होगी।
केस का शीर्षक: कनिष्क सिन्हा बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य