"श्री राम हिंदुओं के दिल के बहुत करीब": मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को अयोध्या राम मंदिर अभियान को अनुमति देने पर विचार करने का निर्देश दिया

Update: 2021-02-24 03:30 GMT

Picture Courtesy: ANI

मद्रास उच्च न्यायालय (मदुरै खंडपीठ) ने शुक्रवार (19 फरवरी) को एक याचिका को अनुमति दी जिसमें अयोध्या में "श्री राम मंदिर" के निर्माण के लिए मदुरै के आसपास के क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाने की अनुमति मांगी गई थी।

न्यायमूर्ति आर. हेमलता की खंडपीठ ने मदुरै शहर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर विचार करें और मदुरै और उसके आसपास वाहन की मुक्त आवाजाही के लिए उचित प्रतिबंधों के साथ उचित आदेश पारित करें।

संक्षेप में तथ्य

यह मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था कि याचिकाकर्ता (एन. सेल्वाकुमार) "श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट" के जिला संयोजक का पद संभाल रहे हैं, जो आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करने और "श्री अयोध्या में राम मंदिर" के निर्माण के लिए बनाया गया है।

उनकी आगे की दलील यह थी कि याचिकाकर्ता ने 13 फरवरी 2021 को मदुरै शहर के पुलिस आयुक्त के समक्ष एक याचिका दायर की और मदुरै और उसके आसपास, एक वैन के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाने की अनुमति मांगी।

यह आरोप लगाया गया कि उक्त प्रतिनिधित्व को सहायक पुलिस आयुक्त, थिलगर थाइडल (लॉ एंड ऑर्डर) रेंज, मदुरै सिटी ने वर्तमान COVID -19 स्थिति और कानून व्यवस्था की समस्या का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया।

उनका आगे का तर्क यह था कि यद्यपि सरकार द्वारा विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों को सम्मेलन और सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उन्हें अनुमति से वंचित कर दिया गया था।

यह भी उनका विवाद था कि पुलिस द्वारा उनके वाहन की आवाजाही पर भी रोक दी गई थी।

प्रतिवादी का उत्तर

एपीपी ने दावा किया कि दूसरे प्रतिवादी [सहायक पुलिस आयुक्त, थिलगर थाइडल] का मदुरै के 100 वार्डों में अधिकार क्षेत्र नहीं है और उन्हे याचिकाकर्ता को अनुमति देने का अधिकार भी नहीं है।

यह भी तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता को पुलिस आयुक्त, मदुरै सिटी पुलिस के समक्ष याचिका दायर करनी चाहिए थी।

कोर्ट का अवलोकन

कोर्ट ने एसीपी (दूसरी प्रतिवादी) द्वारा पारित आदेशों का अवलोकन किया और देखा कि वर्तमान COVID -19 स्थिति और कानून व्यवस्था की समस्या का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता को मदुरै और उसके आसपास जागरूकता अभियान चलाने की अनुमति नहीं दी गई थी।

इस पर कोर्ट ने कहा,

"कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि दूसरी प्रतिवादी के पास आदेश पारित करने की शक्तियां नहीं हैं और यदि उसे ऐसा लगता है, तो उसे अनुमति अस्वीकार करने के बजाय पुलिस आयुक्त के पास भेज देना चाहिए।"

गौरतलब है कि कोर्ट ने यह भी कहा कि

"यह बताना उचित है कि 'श्री राम' हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं के दिल के बहुत करीब हैं और जब लोगों को मूवी हॉल, मॉल और अन्य सार्वजनिक स्थानों के अंदर जाने की अनुमति दी गई है तो मुझे इस मामले में दूसरे प्रतिवादी द्वारा लिए गए आधिकारिक रुख को मान्यता देने का कोई कारण नहीं मिलता है। "

न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि,

"दूसरे प्रतिवादी द्वारा पारित आदेश में यह भी नहीं बताया गया है कि कानून और व्यवस्था की समस्या कैसे होगी, अगर याचिकाकर्ता को मदुरै और उसके आसपास अपनी वैन ले जाने की अनुमति दी जाती है।"

यह देखते हुए कि संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ता के वाहन की आवाजाही पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी, अदालत ने कहा कि उन्हें कुछ प्रतिबंध लगाने के बाद जुलूस की अनुमति देनी चाहिए।

इसलिए, पुलिस आयुक्त, मदुरै सिटी को निर्देशित किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रतिनिधित्व पर उचित आदेश पारित करें।

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