प्राइवेट स्कूलों को अपनी पसंद से छात्रों को एडमिशन देने का अधिकार उचित और पारदर्शी मानदंडों के आधार पर होना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2023-04-19 10:13 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट में प्राइवेट स्कूल में एक छात्र के एडमिशन से जुड़ा एक केस आया। कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों को अपनी पसंद से छात्रों को एडमिशन देने का अधिकार एक उचित और पारदर्शी मानदंड के आधार पर होना चाहिए।

जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। उन्होंने कहा कि जनरल कोटा के तहत एडमिशन के मामलों में एक स्कूल की स्वायत्तता होती है। इसके लिए वो अपने मानदंड तैयार कर सकता है। लेकिन ये मानदंड भेदभावपूर्ण नहीं होने चाहिए। मानदंड उचित, निष्पक्ष और न्यायसंगत होने चाहिए।

आगे कहा,

“निजी शैक्षणिक संस्थानों को अपनी पसंद से छात्रों को एडमिशन देने का अधिकार चयन की एक उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत प्रक्रिया के अधीन है। ये उचित और पारदर्शी होना चाहिए।“

कोर्ट ने एक नाबालिग छात्र की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। छात्र ने 'सिबलिंग पॉइंट्स' के आधार पर एक प्राइवेट स्कूल की पहली कक्षा में एडमिशन देने की मांग की थी।

स्कूल ने एकेडेमिक सेशन 2023-2024 के लिए एंट्री लेवल की कक्षाओं में एडमिशन की अधिसूचना जारी की थी। छात्र के पिता ने ओपन कैटेगरी में कक्षा 1 में उसके दाखिले के लिए आवेदन किया था। स्कूल के निर्धारित मानदंड के अनुसार कुल 70 प्वाइंट्स का दावा करते हुए एडमिशन फॉर्म ऑनलाइन जमा किया गया था। इसमें पड़ोस के लिए 40 प्वाइंट्स और 'सिबलिंग’ के लिए 30 प्वाइंट्स, क्योंकि छात्र का बड़ा भाई भी स्कूल में पढ़ रहा था।

हालांकि स्कूल ने एप्लीकेशन फॉर्म रिजेक्ट कर दिया। और वजह बताई कि 'सिबलिंग’ मानदंड के तहत नई ट्यूशन फीस की रसीद फॉर्म में नहीं जोड़ा गया था।

इसके खिलाफ छात्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में कहा गया है कि 'सिबलिंग’ मानदंड के तहत नाबालिग प्वाइंट्स प्राप्त करने का हकदार है क्योंकि स्कूल की निर्धारित एकमात्र मानदंड ये है कि आवेदक का भाई या बहन उसी स्कूल में पढ़ रहे हों।

शिक्षा निदेशालय की ओर से पेश वकील ने नाबालिग की दलीलों का समर्थन किया। और कहा कि स्कूल को एडमिशन प्रक्रिया और मानदंड तैयार करने की स्वायत्तता है, लेकिन ये मनमाना नहीं होना चाहिए।

दूसरी ओर, स्कूल की ओर से कहा गया कि प्वाइंट्स दिए जाने के लिए स्कूल में पढ़ने वाले भाई-बहन की नई ट्यूशन फीस रसीद की फोटोकॉपी आवश्यक है।

कोर्ट ने छात्र को राहत दी और कहा कि इस पर कोई विवाद नहीं है कि नाबालिग के भाई-बहन उसी स्कूल में पढ़ रहे हैं। इसलिए सिबलिंग की नई स्कूल फीस रसीद मांगना अनुचित है।

कोर्ट ने आगे कहा कि स्कूलों को एडमिशन के लिए अतिरिक्त पैरामीटर तय करने की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन ये न्यायसंगत और उचित होने चाहिए।

बेंच ने कहा कि केवल इसलिए कि नाबालिग का बड़ा भाई EWS केटेगरी के तहत पढ़ रहा है, ये याचिकाकर्ता को प्वाइंट्स से वंचित करने का आधार नहीं होगा। याचिकाकर्ता ओपन केटेगरी के तहत एडमिशन पाने के योग्य है। स्कूल की ओर से किए जाने वाले वर्गीकरण को वैध नहीं ठहराया जा सकता है।

कोर्ट ने स्कूल को निर्देश दिया कि वो छात्र को उसके एडमिशन मानदंड के तहत 'सिबलिंग पॉइंट्स' प्रदान करे और अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के अनुसार उसे एडमिशन दे।

केस टाइटल: अयान जोरवाल (नाबालिग) पिता दिनेश कुमार मीना बनाम दिल्ली सरकार 

साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (दिल्ली) 323

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:


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