राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति में संशोधन की प्रक्रिया जारी है: केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा
दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र ने बुधवार को बताया कि "नई और संशोधित" राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति (एनएलपी) प्रक्रिया में हैं और आने वाले समय में लागू होगी।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष जून 2010 में शुरू की गई एनएलपी को लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा, कानून मंत्रालय की ओर से पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि वर्तमान में एक कानूनी सूचना प्रबंधन और ब्रीफिंग सिस्टम (LIMBS) नामक एक ऐप है, जो विभिन्न सरकारी विभागों के मामलों को आप एक नजर में देख सकते हैं।
उन्होंने कहा,
"आने वाले समय में एक नया और संशोधित एनएलपी होगा।"
एएसजी की अधीनता को ध्यान में रखते हुए पीठ ने मामले को 12 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया।
एन भास्कर राव, जो एक जन संचार विशेषज्ञ और एक वकील शनमुगो पात्रो की जनहित याचिका में कहा है कि एनएलपी को 2010 में इस उद्देश्य के साथ लॉन्च किया गया था कि सरकार को व्यर्थ मुकदमेबाजी में शामिल नहीं होना चाहिए, जहां उसकी भूमिका अधिक न हो।
याचिका में कहा गया है,
"नीति का उद्देश्य सरकार को एक कुशल और जिम्मेदार मुकदमेबाज़ में बदलना है। नीति का अंतर्निहित उद्देश्य अदालतों में सरकारी मुकदमेबाजी को कम करना है ताकि किसी मामले की एवरेज पेंडेंसी की जा सके अन्य लंबित मुद्दों को हल करने में अदालत का मूल्यवान समय बर्बाद न हो।"
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पैट्रो ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में अलग-अलग फोरम के समक्ष दावे किये हैं कि एनएलपी को जल्द ही लागू किया जाएगा, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं किया गया है।
उन्होंने अदालत से मामले में नोटिस जारी करने का आग्रह किया, लेकिन पीठ ने वर्तमान चरण में ऐसा करने से इनकार कर दिया।
याचिका में दावा किया गया है कि एनएलपी के तहत सरकार की भूमिका ज्यादा नहीं है तो वह अपील दायर नहीं करेगी।
नीति यह भी सुनिश्चित करेगी कि सरकार से जुड़े सभी लंबित मामलों की समीक्षा मेधावी से विवादास्पद और अस्थिर मामलों को वापल लिया जाये।
याचिका में कहा गया है कि पहचान किए गए मामलों को वापस ले लिया जाएगा, जिसमें अदालतों के पिछले फैसलों से जुड़े मामले भी शामिल होंगे। इस तरह के मामलों की वापसी समयबद्ध तरीके से की जाएगी।
इसने आगे कहा है कि,
"भारत संघ अपनी पूर्वोक्त नीति का पालन नहीं कर रहा है। न तो यह नीति को समान रूप से लागू कर रहा है और न ही समग्रता में, जिसके कारण निम्न वर्ग के लोगों के साथ बहुत अन्याय हो रहा है।"