धर्म गाय से पैदा होता है, जिस दिन गौहत्या बंद हो जाएगी, उस दिन धरती की समस्याएं खत्म हो जाएंगी: गुजरात कोर्ट

Update: 2023-01-22 12:13 GMT

गुजरात के तापी जिले की एक अदालत ने हाल ही में महाराष्ट्र राज्य से मवेशियों को अवैध रूप से ले जाने के आरोप में एक 22 वर्षीय व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि जिस दिन गाय के खून की एक बूंद भी धरती पर नहीं गिरेगी, उस पृथ्वी की सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा और पृथ्वी में भलाई स्थापित हो जाएगी।

सत्र न्यायाधीश एसवी व्यास ने जिला न्यायालय तापी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि धर्म गाय से पैदा होता है क्योंकि धर्म वृषभ के रूप में होता है और गाय के पुत्र को वृषभ कहा जाता है।

कोर्ट ने संस्कृत के एक श्लोक को भी उद्धृत किया जिसमें कहा गया कि अगर गाय विलुप्त हो जाती हैं तो ब्रह्मांड का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा और वेद के सभी छह अंगों की उत्पत्ति गायों के कारण हुई है। इस बात पर जोर देते हुए कि गायों को मारना अस्वीकार्य है, कोर्ट ने दो अन्य श्लोकों का उल्लेख किया, जिनका इस प्रकार अनुवाद किया जा सकता है।

" जहां गायें सुखी रहती हैं वहां, धन और संपत्ति प्राप्त होती है। जहां गायें दुखी रहती हैं, धन और संपत्ति दुखी रहती है और गायब हो जाती है ... गाय रुद्र की मां, वसु की बेटी, अदितिपुत्रों की बहन है और ध्रुरूप अमृत का खजाना है।"

गो हत्या और अवैध परिवहन की घटनाओं को सभ्य समाज के लिए शर्मनाक बताते हुए कोर्ट ने इस प्रकार टिप्पणी की,

" गाय केवल एक जानवर नहीं है, बल्कि यह मां है, इसलिए इसे मां का नाम दिया गया है। गाय जितना कोई भी कृतज्ञ नहीं है। एक गाय 68 करोड़ पवित्र स्थानों और तैंतीस करोड़ देवता का जीवित ग्रह है। । पूरे ब्रह्मांड पर एक गाय का दायित्व वर्णन की अवहेलना करता है। जिस दिन गाय के रक्त की एक बूंद भी पृथ्वी पर नहीं गिरेगी, पृथ्वी की सभी समस्याएं हल हो जाएंगी और पृथ्वी की भलाई स्थापित हो जाएगी। गोरक्षा और गौ पालन की बहुत बातें करते हैं लेकिन उसे अमल में नहीं लाते ।''

कोर्ट ने इसके अलावा गायों के महत्व पर जोर देते हुए यह भी कहा कि विज्ञान ने साबित कर दिया है कि गाय के गोबर से बने घर परमाणु विकिरण से प्रभावित नहीं होते हैं और गौमूत्र का उपयोग कई लाइलाज बीमारियों का इलाज है।

अदालत ने ये टिप्पणियां एक मोहम्मद आमीन आरिफ अंजुम के मामले से निपटने के दौरान कीं, जिसे जुलाई 2020 में एक ट्रक में 16 से अधिक गायों और गोवंश को अवैध रूप से ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह भी आरोप लगाया गया कि गायों को भोजन या पानी की कोई सुविधा नहीं होने के कारण रस्सी से बांध दिया गया था।

गुजरात पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2011, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960, गुजरात आवश्यक वस्तु और मवेशी (नियंत्रण) अधिनियम, 2005 के साथ-साथ केंद्रीय मोटर वाहन (ग्यारहवां संशोधन) नियम, 2015 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अभियुक्त के विरुद्ध अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के अपने विश्लेषण में न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सक्षम रहा कि घटना के समय अभियुक्त वाहन चला रहा था, जिसमें से गायें और गोवंश बरामद हुए। पुलिस के पास इस मामले में आरोपी को झूठा फंसाने का कोई कारण नहीं था।

न्यायालय ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष ने साबित किया कि अभियुक्त के पास सक्षम प्राधिकारी का प्रमाण पत्र या मवेशियों के परिवहन के लिए लिखित अनुमति नहीं थी और इस प्रकार अदालत को यह मानना ​​पड़ा कि अभियुक्त वध के लिए इनका इन्हें ले जा रहा था।

अदालत ने अभियुक्त को गुजरात पशु संरक्षण अधिनियम, 2011 की धारा 5, 6, 7, पशुओं के प्रति क्रूरता का रोकथाम अधिनियम 1960, की धारा -11 (1) (डी), (ई), (एफ), (एच), गुजरात पशु परिवहन नियंत्रण आदेश, 1975 की धारा 2 और गुजरात आवश्यक वस्तु और पशु नियंत्रण अधिनियम, 2015 की धारा 4 के साथ-साथ केंद्रीय मोटर वाहन (11वां संशोधन) अधिनियम, 2015 की धारा -125 (ई) के तहत दोषी ठहराया और 5 लाख रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

गुजराती भाषा में लिखे अपने 24 पन्नों के आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान परिदृश्य में गाय का 75% धन नष्ट हो गया है और अब केवल 25% धन ही बचा है।

अदालत ने कहा, 

" एक समय आएगा जब लोग गायों की तस्वीरें बनाना भूल जाएंगे। आजादी के 70 साल से अधिक का समय बीत चुका है। न केवल गौहत्या बंद नहीं हुई है बल्कि यह अपने चरम पर पहुंच रही है। आज जो समस्याएं हैं, वे इसलिए हैं कि चिड़चिड़ापन और गर्म स्वभाव बढ़ रहा है। इस बढ़ोतरी का एकमात्र कारण गायों का वध है। जब तक यह पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं हो जाता, तब तक सात्विक जलवायु का प्रभाव नहीं हो सकता।"

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