पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह-गुरुग्राम हिंसा के दौरान कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई मस्जिद के केयर टेकर को पुलिस सुरक्षा दी

Update: 2023-08-23 05:45 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस मस्जिद के कार्यवाहक (Caretaker) को अस्थायी पुलिस सुरक्षा दी की, जिसे नूंह हिंसा के दौरान भीड़ द्वारा कथित तौर पर तोड़ दिया गया था।

जस्टिस अनूप चितकारा ने स्थिति की संभावित गंभीरता को देखते हुए पंद्रह दिनों के लिए सुरक्षा दी, लेकिन स्पष्ट किया कि आदेश में मामले की योग्यता के आधार पर निर्णय नहीं लिया गया है।

“अगर जीवन को ख़तरे की आशंका के आरोप सच साबित होते हैं तो इससे अपूरणीय क्षति हो सकती है। इस प्रकार, इस मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में यह उचित होगा कि संबंधित पुलिस अधीक्षक, एसएचओ, या कोई भी अधिकारी जिसे इस संबंध में ऐसी शक्तियां सौंपी गई हैं या अधिकृत किया गया है, याचिकाकर्ता को आज से पन्द्रह दिन तक उचित सुरक्षा प्रदान करें।”

अदालत नूंह निवासी रसीद की पुलिस सुरक्षा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो पलवल की रामनगर मस्जिद के कार्यवाहक के रूप में कार्य कर रहे हैं। 31 जुलाई को नूंह हिंसा के बाद कथित तौर पर मस्जिद में तोड़फोड़ की गई थी।

याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट तालीम ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता की पुलिस शिकायत दिनांक 03.08.2023 में नामित कई आरोपी व्यक्ति और 10-15 अन्य व्यक्ति बंदूकों, छड़ों, तलवारों और अन्य खतरनाक हथियारों से लैस होकर उनके आवास पर पहुंचे और उन पर मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया। इसके बाद आरोपी रसीद के घर में घुस आए और उनके तथा उनके परिवार के सदस्यों के साथ आपराधिक मारपीट की और घर में तोड़फोड़ की। यह भी कहा गया कि उक्त मस्जिद में भी तोड़फोड़ कर उसे नष्ट कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि " होडल में याचिकाकर्ता का घर और जिस मस्जिद का वह देखभालकर्ता है, वहां आरोपी व्यक्तियों द्वारा किए गए व्यापक नुकसान, तोड़फोड़ के बावजूद जांच एजेंसी ने याचिकाकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने या होडल, पलवल में सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। न ही आरोपी व्यक्तियों को पकड़ने का कोई प्रयास किया गया।”

पीठ ने कहा,

"निजी उत्तरदाताओं के हाथों जीवन और स्वतंत्रता के डर से याचिकाकर्ता, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के मौलिक अधिकार का उपयोग करते हुए राज्य के माध्यम से सुरक्षा की मांग करते हुए इस न्यायालय के समक्ष आया है।"

15 दिनों की सुरक्षा देते हुए पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होगी तो उसके अनुरोध पर इसे पंद्रह दिनों की समाप्ति से पहले भी बंद किया जा सकता है।

संबंधित अधिकारियों को जमीनी हकीकत के दिन-प्रतिदिन के विश्लेषण या याचिकाकर्ता के मौखिक या लिखित अनुरोध पर सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश दिया गया।

तदनुसार याचिका का निपटारा कर दिया गया।

केस टाइटल: रसीद बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य।

अपीयरेंस : याचिकाकर्ता के लिए वकील तालीम हुसैन।

रजत गौतम, एडिशनल एजी, हरियाणा

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