बॉम्बे हाईकोर्ट का सुझाव, दुकानदारों के व्हाट्सएप डिटेल और 24 घंटे सहायता के लिए बनाई गई हेल्पलाइन का प्रचार करें
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को औरंगाबाद नगर निगम (एएमसी) को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, ताकि कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के इस चौथे चरण के दौरान जरूरत की वस्तुओं तक नागरिकों की पहुंच आसान हो सकें।
औरंगाबाद में न्यायमूर्ति पीबी वरले और न्यायमूर्ति एस कुलकर्णी की खंडपीठ इस मामले में मुजफ्फरुद्दीन खान की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस 39 वर्षीय व्यापारी ने यह याचिका डिविजनल कमीश्नर द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर की थी। इस आदेश के तहत औरंगाबाद में पांच दिनों के लिए मेडिकल की दुकानों को छोड़कर बाकी सभी दुकानों को बंद करने का निर्देश दिया गया था।
याचिकाकर्ता की शिकायत यह थी कि दुकानों को बंद करने का आदेश जारी करने से पहले अधिकारियों के बीच उचित समन्वय नहीं था। इतनी अवधि के लिए दुकानों को बंद करने से आम जनता को असुविधा होगी और उन्हें आवश्यक वस्तुओं से वंचित होना पड़ेगा।
नगर निगम की तरफ से इस मामले में दायर हलफनामे में कहा गया है कि सक्षम अधिकारी (आयुक्त, एएमसी और डीसी,औरंगाबाद) औरंगाबाद ऐसी दुकानों को बंद करने का निर्णय लेने के लिए बाध्य थे ,क्योंकि 15 मार्च और 9 मई के बीच की अवधि में कोरोनावायरस के पाॅजिटिव मामलों में खतरनाक वृद्धि हुई थी।
समस्या से निपटने के लिए एक बैठक बुलाई गई थी,जिसमें कोरोनावायरस की श्रृंखला को तोड़ने के लिए तीन दिनों के लिए एक पूर्ण लॉकडाउन (दुकानों को बंद करने) करने का फैसला लिया गया था। लेकिन चूंकि मामलों की संख्या में वृद्धि जारी रही इसलिए पूर्ण लॉकडाउन को तीन दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया।
एएमसी के हलफनामें में कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन या नियंत्रण वाले क्षेत्रों सहित सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लोगों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किराने का सामान, सब्जियां, खाद्य पदार्थों आदि की होम डिलीवरी की व्यवस्था की गई है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि जरूरत के समय नागरिकों की मदद करने के लिए 24 घंटे चलने वाली एक हेल्पलाइन को भी स्थापित किया गया है। वहीं नोडल अधिकारियों के साथ एक 24 घंटे काम करने वाला नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है जो नागरिकों को आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। एएमसी ने यह भी बताया कि बीस मई से जरूरी वस्तुओं से जुड़ी दुकानों व सेवाओं को सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक काम करने की अनुममि दे दी गई है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मुहम्मद असीम ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की प्राथमिक शिकायत का ध्यान रखा गया है। हालांकि अधिकारियों को इस तरह की दुकानों के लिए आवंटित समय अवधि को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए ताकि दुकानदारों को दुकानों को साफ करने और उनको व्यवस्थित करने का समय मिल सके।
एएमसी के वकील एस.जी चपलगांवकर ने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सुझाव पर विचार करने के लिए कुछ समय मांगा और मंगलवार को अदालत को बताया कि व्यापारियों और दुकानदारों के साथ उचित विचार-विमर्श के बाद अधिकारी ऐसी दुकानों को खोलने के समय को एक घंटा और बढ़ाने के इच्छुक हैं। दुकान खोलने से पहले का आधा घंटा और दुकान बंद करने से पहले का आधा घंटा दुकानदार अपनी दुकानों को साफ करने और उनको व्यवस्थित करने के लिए प्रयोग कर सकेंगे।
कोर्ट ने कहा कि याचिका में की गई शिकायत अब निपट गई है। वहीं एएमसी के वकील की सकारात्मक प्रतिक्रिया की सराहना भी की। पीठ ने कहा कि न्यायालय से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह प्रशासन का कार्यभार संभाले या व्यापार गतिविधियों की निगरानी में लिप्त हो। लेकिन ''अजीब परिस्थितियों के कारण हम ये सुझाव दे रहे हैं।''
कोर्ट ने कहा-
''हम निगम को यह सुझाव दे रहे हैं कि वह अधिसूचित/ विशेष क्षेत्रों में दुकानदारों के व्हाट्सएप नंबर प्रकाशित करने की संभावना पर विचार करें। इससे उपभोक्ता अपने किराने के सामान या जरूरत के अन्य सामान के लिए एडवांस में ही दुकानदारों को आर्डर दे सकते हैं। ताकि दुकानदारों पहले ही इस सामान को तैयार करें ले और अगले दिन आसानी से सामान की डिलिवरी कर दी जाए।
हम यह भी सुझाव दे रहे हैं कि नगर निगम समय-समय पर 24 घंटे काम करने वाले कॉल सेंटर और हेल्पलाइन नंबरों के विवरण को भी प्रकाशित करवाए। कम से कम साप्ताहिक रूप से इन नंबरों का प्रकाशन होना चाहिए। यह प्रकाशन एक दैनिक क्षेत्रीय समाचार पत्र और एक अंग्रेजी समाचार पत्र में किया जाए।
नगर निगम 24 घंटे काम करने वाले नियंत्रण कक्ष और नियुक्त नोडल अधिकारियों के फोन नंबर का विवरण भी प्रकाशित करवाए। "
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