नामांकन प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों को लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा करने के लिए फॉर्म प्रदान करें: कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा

Update: 2023-11-28 14:29 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी अन्य एजेंसियों को एक फॉर्म प्रदान करने से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी निर्देशों को लागू करने के लिए कहा है, जिसमें चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को लंबित आपराधिक मामलों, यदि कोई हो, में अपनी संलिप्तता की घोषणा करनी है।

मामले में याचिकाकर्ता का चुनाव चुनाव न्यायाधिकरण ने इस आधार पर रद्द कर दिया था कि उसने अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं किया था। रद्द करने के फैसले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बरकरार रखा था।

एकल पीठ के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता की अपील को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने कहा, "राज्य चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी अन्य एजेंसियों को राज्य के सभी स्थानीय निकायों के चुनावों के मामले में अपेक्षित प्रपत्र जारी या शामिल करके सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करना चाहिए। यह निर्देश हम इसलिए जारी कर रहे हैं ताकि सामान्य तौर पर राजनीति में शुचिता और विशेष रूप से चुनाव प्रक्रिया में शुचिता हासिल की जा सके।''

बेंच ने पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2018) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी गौर किया, जिसमें निम्नलिखित निर्देश दिए गए थे-

(i) प्रत्येक चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को चुनाव आयोग की ओर से दिया गया फॉर्म भरना होगा और फॉर्म में आवश्यक सभी विवरण शामिल होने चाहिए। (ii) इसमें उम्मीदवार के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में मोटे अक्षरों में बताया जाएगा। (iii) यदि कोई उम्मीदवार किसी विशेष पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है, तो उसे अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में पार्टी को सूचित करना आवश्यक है। (iv) संबंधित राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों से संबंधित उपरोक्त जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालने के लिए बाध्य होगा। (v) उम्मीदवार के साथ-साथ संबंधित राजनीतिक दल को उम्मीदवार के पूर्ववृत्त के बारे में इलाके में व्यापक रूप से प्रसारित समाचार पत्रों में एक घोषणा जारी करनी होगी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी व्यापक प्रचार करना होगा। जब हम व्यापक प्रचार की बात करते हैं तो हमारा मतलब यह है कि नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार ऐसा किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता एच वी अशोक ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ वर्तमान अपील दायर की थी, जिसमें आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करने के आधार पर चुनाव न्यायाधिकरण ने उनके चुनाव को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चुनाव न्यायाधिकरण उनके चुनावों को रद्द नहीं कर सकता था, क्योंकि उन्होंने शपथ पत्र/नामांकन पत्रों में अपनी 'आपराधिक पृष्ठभूमि' की घोषणा की थी। उन्होंने आगे तर्क दिया कि मामले के इस पहलू को एकल न्यायाधीश ने नजरअंदाज कर दिया था, जिसने गलती से रिट याचिका खारिज कर दी थी।

पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने सुनवाई योग्य न होने के आधार पर अपील खारिज कर दी। इसके अलावा, गुण-दोष के आधार पर भी, बेंच की राय थी कि एकल न्यायाधीश ने मामले की जांच करने के बाद ही यह निष्कर्ष निकाला था कि अपीलकर्ता के पास आपराधिक पृष्ठभूमि थी और नामांकन पत्र के साथ हलफनामे में इसका खुलासा नहीं किया गया था।

इन्हीं टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने अपील खारिज कर दी।

साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (कर) 452

केस टाइटलः एचवी अशोक और एचएन गोपाल और अन्य

केस नंबर: रिट अपील नंबर 1249/2023

ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News